
मनमाँ उदेख ओ मेरि बैंणा
रचनाकार: हीरा बल्लभ पाठक
🌹🌿🌹🌿🌹
बरखा झुली रै सोंण का म्हैंणा
मनमाँ उदेख ओ मेरि बैंणा। मनमाँ
स्वामि छन् परदेश इकुली परांणी
कसिक् कट्यिछ यौ ऋतु रैंणा। मनमाँ
रिमझिम रिमझिम बरखा लै रैछ
पारक् भिड़ा छै रै इन्द्रैणा। मनमाँ
ओ मेरि दीदी ओ मेरि भूली
स्वामि ज्यु म्यरा नि ऊन स्वैंणा। मनमाँ
ह्यून में ओंल् कै चिट्ठि ऐ रैंछ
तब्बै जै हौली भगवती दैंणा । मनमाँ
🙏🏼🌿🌺⚘🌺🌿🙏🏼
हीरावल्लभ पाठक (निर्मल), 14-07-2020
स्वर साधना संगीत विद्यालय लखनपुर,रामनगर

हीरा बल्लभ पाठक जी द्वारा फेसबुक ग्रुप कुमाऊँनी पर पोस्ट
0 टिप्पणियाँ