पनदा चहा वाल् - कुमाऊँनी किस्स

 "तस् हुनेर भै गुस्स" Kumauni Kissa-"Pandaa Chaha waal", Kumauni Bhasha ka kissa

"पनदा चहा वाल्"
लेखक: दुर्गा दत्त जोशी
 
*काथ् पढि बेर बताया हो।*

हरदाक् पैंन च्यल भै पनदा, हमर भतिज भै कौंनेर पनदा भयां। भौतै गुस्सबाज् रिसांणी बात बात् में झिकडू भै पन्नू। ईस्कूल रोज जनेर भै पढनेर न भै। जै दिन रिजल्ट आलत् उदिन वीक शक्ल देखण लकारी हुनेर भै। बाड़ मुस्किलैलि यक् क्लास में द्वि द्वि तीन तीन साल लागि जनेर भै। जो पास है रौलात् उननधें रिश्वत दिबेर पास है रई कोंनेर भै।

पैंनि गों बटिक मास्टरनाक् लिजि लौकि त्वेरियां साग पात दै दूद के घर में फालतू भै नान्तिन ल्हीजनेर भै य देखिबेर लै ऊ कौंणें में रौंनेर भै त रिश्वत छ तबै तुम लोग पास हुंछा। अगर त बातक् क्वे विरोध करलत् उ दगड़ि उ दिन झिकड़ हैईए भै समझि ल्ही। हर एक दगड़ि वीक झिकडे भै। बुलांण चुलांक तबै करनेर भै जदिन वीकें के चीजैकि जरूरत ह्वेलि। भौते निखद् भै ऊ। कि कों निगुरै भै। भै हो बात करण लकारिकै न भै।

वीलि गोंक् स्कूल बटिक आठ फेल करत गोपिदाक् दुकान में काम में लागि गै।  दुकान में क्वे घाकि आलात् उठण पड़ौं कबेर ठुल आंखनि चांनेर भै, थोव हिलण फै जनेर भै।  कयो बखत उल्ट सुल्ट बुलांणाक् वीलि यक् दिन गोपदालि ऊं कें मना करि द्यू।  उदिन ऊ गोपदा दगड़ि उलझि गै कयो गाई गलौच लै करि दी वीलि गोपदाहीं। वीक् गालिब गलौच सुंणिबेर गोपदालि पटवारि बुलै हाल्। 

वीकि आदत् देखिबेर गोपदालि पटवारिधैं कै द्यू कि पनुवलि म्येरि दुकान में च्वेरि करी।  आब् कि छ्यू पनू कें हथकड़ि लै लागि गै।  जस्सै पटवारि पनू कें दुकान बटिक अघिलैं ल्हीजांण फैटत् ऊई टैम में कोंछा पनुवक् बाप ऐगै। उननि पटवारिहीं लै गोपिथाहीं लै हाथ जोडि दी। पनुवक् बाप् डाड़ मांण फैगै। वीलि कै म्हाराज अगर सांचि में पनुवलि च्वेरि करि राखी त् ए कैं गिरफ्तार करिबेर ल्ही जावा अतरि कौंछा यक् मौक आजि दि दी।

गोपिदाकें लै पनुवक् बाप कें देखिबेर बड़ नक् जस लागि गै य लिजी पटवारि धें कै बेर पनुकें छुड्या द्यू। अब पनुवकि य नौकरी लै जनी रै। घरक काम उ करनेरै न भै। यक् ठ्याकदारक् दगड़ि लगा वां बै लै लड़ि झिकड़िबेर ऐगै। अंत में पनुवक् लिजी धार में एकि जाग में पैदल रोडाक् किनारैं चहा दुकान खोलि गै।

पैदल बाट् भै गरीब ईलाक् भै क्वै नौकरिवाल या कोई जेब में डबल वाल ऐ गयो द्वि चार चहा बिचांनेर भै। ऊई में पनुवक् बाप खुशि भै कोंछा अब लौंड दुकानदारी सिख जालत् पछा कति बजारपन जाग देखिबेर दुकान खुलवा द्यूंन।

यक् दिन दुकान में गोंकै केसु भैटी भै ऊ दूद दिनेर भै द्वि म्हाण हैगै दूद देते देते आजि दूदाक् डबल मिली न भै ऊ डबल मांगि नारे। यक सूटबूटवाल् ऐ कोंछा वीलि चहा पीड़ें धैं कयोत् पनू चहा बणोंण में लागिगै। मगर केसु बार बार डबलनकि बात करण लागि भै। पनुवलि केसुधैं कै द्यू थ्वाड देर रुकि जा चहा बणों नारयूं ऊ मानै नैं। जसै चहा उबलण लागत् पनदाकें केसुवाक् ऊपर भौतै गुस्स ऐगै।

वीलि ऊ उबवणि चहाक् फ्रायपैन पकड़त केसुवाक् ख्वारन् लौटि द्यू।  केसुवाक् ख्वर मूख हाथ खुट जांलै ऊ चहा पड़ौ जयि गै। केसु जलणाक् वीलि ऊल्लै फुराणींन् लागि गै।  ऊ जो सूटबूटवाल् चहा पिणकि धें भैटि रौछ्यू ऊ कैं पनुहिं भौतै गुस्स ऐगै।  वीलि कै कौं रे तू बिल्कुलै जानवरै छै।  वीलि पैंनि पनु कें खूब मार फिरि वीकि झुतूरि पकड़ि सीद्द पटवारि पास पुजै द्यू।  पछिलि बटिक केसु लै आपण घरवालनाक् दगड़ि ऐ पुज।

आज अब पनुवक् बाप पनुकैं बचौंणैं न ऐ।  पैंनि पटवारिलि पनदाकें खूब सिनपाणि लगा फिर भौत खतरनाक् धारा लगै बेर ब्यालैं जेल पुज्या द्यू। पछा बुब बुलांण, "तस् हुनेर भै गुस्स"। 
 
स्वरचित, 26-07-2020
दुर्गा दत्त जोशी
 

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