
जिम कार्बेट पार्काक् शेर......
रचनाकार: ज्ञान पंत
फूल
लगौ
ते कैं ले
भल् लागौ्ल।
तु
हिट त सई
बा्ट
आफि है जा्ल।
अनया्र
हैयी बादै
जुन्यालि
रात हुँनी।
कतुकै
अन्यार हौवो
"जैङिणी" आस त
हुनेरै भै।
जब
तु जा्गलै
तबै
उज्या्व
समझ।
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यो झन समझिए के उज्याव नि हौ
सूर्ज थामणैं 'कि तेरि औकात न्हाँ।
कभै - कभै छियूल ले जगैयी कर
अनयार 'कि औकात पत्त लागि जैं।
आँख् है बेरि ले देखीन न्हाँ कौ
ते है लाख गुँण भल् सूरदास भै।
यो कुदरत छ , सब जाँणनेर भै
ध्वाख खै बेरि ले अकल नि ऐ।
मुनि टोपि बेरि आ्ब के हुँणी न्हाँ
तु चालै त हालात बदयी जालि।
कांक नेता और कां इनैरि सरकार
हिम्मत कर यो त्यार खुटन् पड़ाल्।
( ग्रामर समबन्धी सुधार बतै दिया हो)
Mar-April 2017

...... ज्ञान पंत
ज्ञान पंत जी द्वारा फ़ेसबुक ग्रुप कुमाऊँनी से साभार
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