जिम कार्बेट पार्काक् शेर......
रचनाकार: ज्ञान पंत
नर्दा
हर्दा'क
इलाज
गिर्दा छी।
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गिर्दा
आजि ले
हकूनै रुँनी
उ बात
दुहैरि भै
सब सितियै रै जानीं ।
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तंत्र
सादण ' कि जिम्मेदारी
लोक 'कि भै मगर
यां उल्ट है रौ।
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कभै न कभै त
तुम
साँचि बलाला सही ....
योयी इंतजारी में
तंत्र
और
लोक
द्वियै चलते रुँनीं।
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लोक
हरै रौ
तबै
"तंत्र"-नेता। है रौ।
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भागी तु खित्त पाड़ि नि हँसी कर
पत्त न के लेखी छ म्यार भाग्य में।
त्यारा वीलि जिन्दगी सितुल है पड़ी
नन्तरी मेरि जिन्दगी त "पहाड़ " छी।
वेयी तेरि छाजणैं 'की चर्चा है रैछी
दिगौ , कैले मैं थैं के पुछ ले न्हाँ।
म्योर मन आज आपण वश में न्हाँ
योयी बात मैलि उनन् थैं ले कै है।
होयि खेलछा त पैलीं मन साफ करौ
तबै तुम मैं थैं ले रंग 'कि बात करौ।
जब चाऔ होलि खेल सक्छा मगर
भतेर में रंग हुँण भौतै जरुरी छन्।

February-Mar 2017

...... ज्ञान पंत
ज्ञान पंत जी द्वारा फ़ेसबुक ग्रुप कुमाऊँनी से साभार
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