बागनाथ मंदिर, बागेश्वर

बागनाथ मंदिर, बागेश्वर, Bageshwar ka prasiddh Bagnath Shiv mandir, Bagmanth Shiva temple of Bageshwar

बागनाथ मंदिर, बागेश्वर

लेखक: नीरज चन्द्र जोशी
व्याघ्रेश्वर महादेव नाम से पूजित इस देवालय के सम्बन्ध में स्कन्द पुराण के वागीश्वर महात्म्य में कहा गया है कि जब सरयू हिमालय से निकल कर अयोध्या जा रही थी तो रास्ते में मार्कंडेय ऋषि का आश्रम स्थापित था और मुनि तपस्या में लीन थे। सरयू ने मुनि की रक्षा हेतु जल प्रवाह को रोक दिया और महादेव से सहायता मांगी। देवी पार्वती ने तब गाय का रूप धारण कर लिया और शिव बाघ के रूप में गाय पर हमला करने का अभिनय करने लगे। गाय के करूण क्रंदन से मार्केंडेय ऋषि की तपस्या भंग हो गई और गाय के प्राण संकट में देखकर मार्कंडेय ऋषि गाय को बचाने के लिए तपस्या छोड़कर गाय के पीछे जंगल में दौड़ने लगे। इस प्रकार सरयू को प्रवाहित होने का मार्ग मिल गया। तीर्थ राज प्रयाग के समकक्ष माने जाने वाले इस देवालय का निर्माण शिव के गण चंडीश द्वारा कराया गया था। इस मंदिर के समीप विष्णु अवतार भगवान दत्तात्रेय का मंदिर भी स्थापित है। व्याघ्रेश्वर महादेव के इस शिव लिंग को शिव नाभि कहा जाता है और सरयू के तट पर अखंड धूनी जली रहती है जिसके बारे में मान्यता है कि इसकी विभूति को माथे पर लगाने से समस्त प्रकार के छल छिद्रों और रोगों का क्षय होता है।
बागनाथ मंदिर, बागेश्वर, Bageshwar ka prasiddh Bagnath Shiv mandir, Bagmanth Shiva temple of Bageshwar इस स्थान पर सरयू, गोमती एवं गुप्त भागीरथी का त्रिवेणी संगम होने से यह स्थान अत्यंत पुण्य दायक माना जाता है। वर्तमान मंदिर का जीर्णोद्धार 16 वीं शताब्दी में राजा लक्ष्मी चन्द ने करवाया था ऐसा इतिहासकारों का मत है। यहां का उत्तरायणी मेला जगत प्रसिद्ध है जो मकर संक्रांति के अवसर पर धूम धाम से आयोजित किया जाता है। माना जाता है कि व्याघ्रेश्वर महादेव के पूजन से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और दुर्भाग्य सौभाग्य में बदल जाता है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ