टोव - कुमाऊँनी व्यंग्य

टोव - कुमाऊँनी व्यंग्य, satire about orthodox thinking about jelousy,buri nazar par kumaoni vayngya

टोव

लेखक: ताराचंद्र त्रिपाठी

हमैरि बोल चाल में एक शब्द छ ’टोव ’।  समाज में  के लै बवाल है जौ, वी क कारण ढुनण में हर आदिमि आपण आपण दिमाग लगूँ, पर यै मैं आपण विवेकैल काम ल्हिणाक बजाय आपण अंध विश्वासन पर ज्यादा भरौस करँ।  कतुक प्रकाराक अंध विश्वास हुनी।  जस गोरुल दूध दिण कम कर दियो, त यो पत्त सगूण छोड़ि बेर कि गोरु  कँ के  शारीरिक परेशानी,  त नि है रै, यो विचार करणा बजाय  यो अन्दाज लगूना कि यै कँ  कै कि नजर  त नि लागि गे।  संधिकाल कै बेर एक डाड़ु में आगाक डंगार में राइ और खुस्याणि खिति बेर गोरु क मलि बै घुमै बेर चौबटि में खिति ऊना।  यो त केवल अंधविश्वास भै।  लेकिन  जब  कै व्यक्ति या समूह कँ यै क कारण  मान ल्हिना, तब यो अंध विश्वास ’टोव’ बणि जाँ।  जस न्हैं हो, गोरु त दूध दिण मैं कभैं परेशानी नि कर छि।  हमन कँ कभैं वी क खुटन में सेलि खितणै कि जरूरतै नि भै, पर जदिन बटि दाड़िमा क बौटाक पास रूनेर बुढ़ियैल ऐताण डंगार जा आँखनैल तै उज्याणि चा, तब बटि तैल दूध दिणें कमै नि करि हैलौ, बल्कि लात लै मारण लागि गो।  यो भै ’टोव’।

आम तौर पर यो टोव  उन लोगन पर निकालीं, जनन कँ हम के लै कारणैल  तिहैति मानना।   या जनार बार में हमन कँ नाराजी या चिढ़ हैं।  कभैं-कभैं जब समाज में के ठुलि परेशानी ठाड़ि है जौ, वी क असली कारण समझ में नि औ त  लोग आपण मनै ल वीक कारण, चाहे उ उनोर भैमै के लै  नि हो, वी क पिछाड़ि पड़ि जानी।  जस आज बटि लगभग चार सौ साल पैलिक लंदन में प्लेग फैलौ।  एका क बाद एक लोग मरण लाग।  हजारूँ लोग मरि गाय। कतुक काव करि दी पर प्लेगै कि थिर थाम नि है सकि।  लोग नै ल अन्दाज लगा कि हौ नि हौ, यो कुकुर बिराउनाक कारण त  नि फैलणै?  आब के छि कुकुर बिराउनैकि कजा एै गें। एक लाख कुकुर और अस्सी हजार बिराउ ठंड करि दि।  बिराउ के मार छि मुस और ले बोइ गाय। प्लेग और लै भड़कि गे।  आदुक जनसंख्या प्लैगै कि भेंट चढ़ि गे।

जब कि असली कारण यो छि कि अधिकतर  लोग गरीब छि।  आपस में चिपकी हुई,नानि नानि झोपड़िन में रूँछि। गंदगी बहुत छि। जाँ देखो वाँ मुसै मुस। मुसन में उपन । उपनन में  प्लेगाक विषाणु।  हर साल जाडना क बाद फिरि प्लेग।  उ त भला भाग लन्दन में  आग लागि  पडौं।  सारि झोपड़ि और काठा क बणि मकान सब स्वाहा। आग लागो त मुस ले मर, उपन लै खतम। पै प्लेग कसि फैलन।

सरकाराक आँख लै खुल। गंदी बस्ती नै  कठबाड़ और मकानन में काठे जागतिर पाथरन क प्रयोग बढ़। प्लेग के आय, लन्दनै कि दास लै  सुधरि गे। पर लाखूँ कुकुर बिराउ त बे मौत नि मारि गया? बताओ! 

सौ साल पैलिक यूरोप में  फ्लू  फैलौ।   बीमारी के फैली, दुनि भरि में 6 करोड़ लोगने कि बलि ली बेर गै। हमार देश में सै वि बीमारी मे कम से कम एक करोड़ लोग खतम है गाय।  यै बीमारी क शुरुआत भै अमरीका बटि। पर अमरीका त तब लै मालदारै भैं। वीक नामैल बीमारीक नाम करण करणै कि हिम्मतै नि भैं स्पेन बिचार कमजोर, वी क लाखूँ लोग अमरीका में रै बेर नान ठुल कामन में ले लागि भाय।  बस ’टोव’ वी कै ख्वार। नाम धरि पड़ि गोय ’ स्पेनिश फ्लू ’।  एै लै देखि लियो। कोरोना बीमारी  फैलि चीनाक वुहान बटी।  पैलिक पैलिक लोगनै ल ’ वुहान कोरोना ’ कूण शुरू करौ त चीनै ल दिखाईं आँख।   ये जमानो क सबसे सम्पन्न और ताकतवर देश भै हो! अमरीका लै वुहान विषाणु कूण में डरिगे।  नाम  धरौ  कोरोना वाइरस डिजीज 2019 या  संक्षेप में कोविद 19।

सौ साल पैलिक जो महामारी फैली वीक  के न के कारण ताकतवर लोगनैल  मानणै छि।  बिचार यहूदी। जनोर न पक्क ठौर न ठिकाण।  बस  व्यापार और डबल उधार दिण और वी क व्याजैल आपण काम चलूण।  उधार चुकूण त सबनैं कँ नक लागँ। वि पर लै तगात लगूणि देखि बेर खार त लागनेरि  भै। बीमारी के फैली लोग नैल टोव यहूदी ना क ख्वार धरि दी।  यहूदी यूरोपीय समाजाक लिजी काव बाकार है गाय।  दुसोर विश्व युद्ध के शुरू हौ यहुदि नै कि कजा एैगे। कुछ त भाजि बेर इंग्लैंड और अमरीका भाजि गाय। जो नि जै सका, हिटलरैल बाव बुड़ सब ज्यूनै भड़यै दी।

ऐ लै देखि लियो।  कोरोना आय हवाई जहाजैल भारतै कि यात्रा पर उनेर विदेशिनाक दगाड़।  30 जनवरी हूँ पैल मरीज केरल में देखीण।  सरकार में बैठि लोगन कँ पैलिकै मालूम है गै  कि यो  जरा सा हाथ लागण या छिं करण पर लै फैलनेर बीमारी छ कै बेर।  पर महाराज सरकार और न्यातन कँ फुरसतै काँ।  दिल्ली क अलच्छिण इलैक्शन में केजरीवालोक मुख काव करण जरूरी भै।  अमित सौ ज्यू कि कुड़बुद्धि ल पैद सीएए, एनआरसी ल नाराज लोगन कँ हड़कूण लै जरूरी भै।  वि पर लै मोदी ज्यू क समधि टिरंप सैपनैल कई  भै मेरि बर्यात क शानदार स्वागत हुण चैं।  फिरि मध्य प्रदेश में आपणि सरकार नि बणनै कि खचि खचि अलग लागि भै।

तब कोरोना कँ ख्याल कसि धरि जान बताओ।  यो लै सोचि गे कि  ल्हि लै जालो  त नि ग्वाव गुसैं क  गरीब गुरूबन कणि ल्हि जाल।   पर जब मालदार लोगनै लै तगात लगाय कि विदेशन में अध्ययन में लागि हमार नानतिन त क्वे इटली में छन क्वे चीनाक वुहान में, कसिके उनन कँ घर ल्याओ।  भले ही द्वि चार कोरोना लै दगाड़ के लै नि ऐ जौ, उनन कणि ल्यूणै छ।  बस जब तक सरकार कोरोना क बार मे सोचँ छि। कोरोना खम्म चारी दरौज में ठाड़।

तब तक  रैली, जलूस, सत्संग,  रथयात्रा, माता क जागरण, मतलब भीड़ भाड़ वाल सबै कार्यक्रम चलि  भै।  कोरोना  कँ  फैलणै कि पुरि छूट दिई भै।  एक कार्यक्रम  मुसलमाननाक धार्मिक जमातो क लै चलि भै।

उसिक लै  दुनि में हर देश में बहुसंख्यक लोग, अल्पसंख्यकन कँ काव बाकरै देखनी।  फिरि एल त  भारत में 67 साल बटि चान.चानै हिन्दुत्व वालन क गद्दी हाथ लागि भै।   मोदी ज्यू  और उनैरि सरकार और नेता लै आजादी क बाद आज तक कै लै देशाक उज्यणि चाये ने, प्रचार करण में लागि भाय।  गौडसे क जयजयकार और गांधी कँ फिटकार दिण में लीन भाय।

मोदी ज्यू क आईया बाद मीडिया लै  उनार पिछाडि अति कुकुरी गोय । बस आब के छि सैपनोक इशार मिलैणै कि देर छि मीडियाल सारि टोव जमातीनाक ख्वार खिति दी।  और आपूँ जस  गंग मैं आपण कर्मन कँ बगै बेर जा आई भै क्याप।

 जमातीनैल फैला कूण हुणि सारै चैनल भाग लगूणाय। पर  जब  कोरोनाक  इलाजाक लिजी  जरूरी कोरोना बटि ठीक हई मरीजनाक  खूनोक प्लाज्मा दिण हूँ  एका क बाद एक तीन सौ है बेर लै ज्यादा जमाती   ठाड़ है गया तो मीडियाल या खबरै गायब करि दी।
या भै महाराज ’टोव ’

ताराचंद्र त्रिपाठी,  एल  मुरादबाद, 30-08-2021

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