जिम कार्बेट पार्काक् शेर

कुमाऊँनी भाषा में शेर-शायरी, ज्ञान पंत जी द्वारा  Kumauni Sher-Shayari by Gyan Pant, Kumaoni Shayari

जिम कार्बेट पार्काक् शेर......

रचनाकार: ज्ञान पंत

मैं पत्त छी 
कि, घाम छनै 
त्योर मूँख नि देखी .....

दिनमान 
तेरि के खबर बात ले 
नि मिलैलि 
कि, गर्जिगा्न जस 
 ज्यूँन छै 
या मरी छै .....

मगर, ब्याव हुन हुनै 
तु मोव थैं 
आजि ऐ मरलै ..

क्वाड़-बागै न्याँत 
गोठ-मुणि लुकि जालै 
और खा्ँण बखत 
और सबन है पैलीं 
मुँख लै 
ठा्ड़ है जालै ......

पोथा!
र्'वा्ट त 
कुकरा ख्वारुँन ले 
खिती जनेर भै 
मगर .....
 कभै सोचियै धैं,
कि 
तु मनखी छै त 
केहिं छै।
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नान्तिन 
गौं'क 
पत्त पुछनीं ....
के बतूँ! 
.............
पहाड़ जै बेरि 
होटल में .....
रुँण - नरूँण 
एकनस्सै भै  ।
..............
हमन
छन जाँणे 
"जड़ त" 
पहाड़ै में भै .....
वी बाद 
देखीनीं रौलि।
.............
आजि ले 
क्वे त
 पाँणि दिंणै लागि रौ ...
नन्तरि 
यो बोट त 
कभै का उताँण है जांछी।
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शब्दार्थ:- 
छन जाँणै - रहने तक, 
रुण नरूण - रहना न रहना, 
एकनस्सै - एकसमान, 
देखीनीं रौलि - देखा जाएगा,  
उताँण - धराशायी

April, 5, 10 2018
...... ज्ञान पंत
ज्ञान पंत जी द्वारा फ़ेसबुक ग्रुप कुमाऊँनी से साभार

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