म्यर पाख मैं - कुमाऊँनी कविता

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"म्यर पाख मैं...."

रचनाकार: नीलम नेगी

जा भागजा कव्वा तू काँव काँव नि कर 'म्यर पाख मै'
कैके बुलुनैछै क्वे निउन सब उणी हरै गेईं 
कोरोना बिमारि लागरैछ कस बखत आ बज्यूण
उणी सब बाट भुलि गेईं नि उणीनकै बहान मिल गो 
अब ल्हैं जा तू लै काँव काँव नि कर 'म्यर पाख मै'...

भेंट घाट, फाम फसक करणी दिन ल्हैगेईं अब कव्वा 
आम कुछी काव्व क बुलाण सच्ची हूं घर मै पौण उनी 
त्यर सच्चाई भौत पुराण बखत बटि प्रचलित छू 
अब झुठ नि बण तू जा काँव काँव नि कर 'म्यर पाख मै'.. 

जां श्राद्ध छू उ घर मै जा वां सरादक खांण खा कव्वा 
पाख पाख घर घर नि घुम तू लै कोरोना पॉजिटिव हैजालै 
जैके हैजानौ नैं उनूंकैं लोग काव बाक़र जै चांणेईं फ़िर 
अब फजित करलै जा तू काँव काँव नि कर 'म्यर पाख मै'..

ब्याकाज मै 'पचास' मरण बखत कुल 'बीस' लोग हुनी बल 
एक कोरोना ल पैलि बज्जर पाड़ि हालौ अब एक तू 
निउणीनक,भुलिगेयीनक याद दिलैभेर निःश्वास नि लगा मकैं 
शुणि हालि त्येरि कव्वा जा तू काँव काँव नि कर 'म्यर पाख मै'..

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नीलम नेगी (अल्मोड़ा), 2020
नीलम नेगी जी की फेसबुक ग्रुप कुमाऊँनी पर पोस्ट से साभार

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