
आपुण-आपुण भाग
लेखिका: गीता सुयाल सती
मैं गीता सुयाल सती अपने बचपन में सुनी हुई एक कुमाऊँनी कहानी
की धुँधली याद आप सबके लिए लेकर आयी हूँ।
क्योंकि यादें बहुत धुंधली है तो बहुत सी त्रुटियां होंगी
जिसके लिए क्षमा चाहती हूँ।
भौत पूराणि बात छ। पहाड़ में एक किसान रुछि वीक जिंदगी ठीके चल रौंछि। उनेरी एक चेली लै छी। एक दिन अचानके वैकि सैणी मर पड़ी, भौते उदास है गो बिचार पै एक दिन सबुले कय कि मदन दा (काल्पनिक नाम) अब य भौ कें को चाल तुम दोहर ब्या कर लियो। भौत लोगोंल कोशिश करि पै मदन दा मानि गयी ब्या करो गृहस्थी लै अघिल बड़ी पै एक भौ लै है गोय, सब ठीक ठाक चलि रौछि अचानक मदन दा बिचार लै भगवानक घर न्हें गीं। फिर थ्वाड़ दिनों में नंतिनाक मैल चेलिक ब्या करो और चेली सौरास न्हें ग्ये। अब भौ और भौक इज अपण जीवन जसि तसि चलौंनाछि कि अचानक भौ इज लै भगवानक घर न्हें ग्ये।
अब क्ये छी बिचार राड़ भौ ऐकले रै गोय। अब सब गों वालोंल उकें विक दीदीक घर भेज दी। क्ये कौनी उ सौती दीदी भई विके भई के पालणक वीक मने नि भय। मणि दिन भई है रौछि दीदी यां दीदिल अपण रंग ढंग दिखोण शुरू कर दी। दीदिल एक दिन अपण भै थें कौ "भुला तू यां रौले त तुके म्यर कय मानण पड़ल।" भाईल कौ मानुल दीदी मानुल-
दीदी -द्वारा कुंणा सिले भुला
मदन - सियूल दी सियूल
दीदी - कुचक बदैक खले भुला
मदन- खूल दीदी खूल
दीदी - चोकरक रुवट खले भुला
मदन - खूल दीदी खूल
दीदी - गोरु ग्वाव जले भुला
मदन - जूल दीदी जूल
एसिके दीदिल भौते शर्त धरी, मजबूर भइल सब मानुल दीदी मानुल क। फिर क्ये छी जिंदगी शर्तो हिसाबेल बितण लाग ग्ये। रत्ती उठना लीजिक कुचोक बदैक, खाणा लीजिक चोकराक रूवाट। फिर रोज ग्वाव न्हें जांछि। एक दिन भई जंगल मे गोरु ग्वाव जेई भय भौते उदास है बेर ऐकले डाड़ मारनछि। तबै अचानक एक जंगली गोरु (नील गाय ) आ विल पूछो भुला किले उदासी रौछे किले ततुक दुखी है रौछे। भईल अपण सब दुख गोरु कें बता। गोरुल क भाई तू दुखी नि हो मैं तेरी मदद करुल। गोरुल को मैं तुके रोज दूध दियूल तू विके पार बाजार फन बेचि बेर ऐ जाए त्यार पास जो पैस आल विक तू यइं जंगल मे अपण लीजिक एक नन नन झोपड़ी बने लिए।
मदनाक मन बात ए ग्ये विल लै सोचो कि रोज कुचाक बदैक खाण है लै भल छू मैं यइ जंगल मे रै लिनु। फिर क्ये छी गोरु रोज रत्ती ब्याव अपण दूध मदन के सै दिंछि। फिर जंगलाक और गोरु लै अपण दूध मदन कें दी दिछि। धीरे धीरे मदनाक लै दिन फिर गयी, विल अपण ब्या लै कर ली। द्वी चार एक नानतिन लै है ग्ये। आज विक पास बढ़िया मकान पैस सब कुछ छी। एक दिन विक मन मे विचार आ चलो दीदीक यां जै उनु।
फिर विल राशन, जेवर, घ्यू, कपड़ और लै मस्त सामान धरो और दीदीक यां बाट लाग गो। दीदिल देखो य को आ, पै जै मणि बातचीत बाद विल अपण भई कें पछियाण ले। जब मदनैल सब सामान अपण दीदी कें दे त दीदी कें सब याद ऐ गो कि विल कसिक कसिक अपण भई कें परेशान करो। सब सोचते सोचते दीदी अचानक मर ग्ये। मदन लै वां बै वापस जंगल हणी ऐ गो।
अब य कहानील तुमुकें क्ये सीख मिली जरूर बताया।

फोटो सोर्स: गूगल
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