क्ला कर नहा

क्ला कर नहा - कुमाऊँनी कविता,kumaoni poem on illegal mining in hills,kumaoni bhasha mein kavita

क्ला कर नहा

रचनाकार: राजू पाण्डेय

खोख्लै हाल्यान पहाड़ भली कैं
आपना मनै तति क्ला कर नहा।

मया कैका ना गै दगडा कभै लै  
येति हैकातरि तुम क्ला कर नहा।

खानो छ सबौ लै अनाजे को दानौ  
त कोचि-कोचि घर क्ला भर नहा।

काला करमौ है डरया कभै ना
गोबरानि देखि तुम क्ला डर नहा।

कुर्सी मिली तुम सबौ की सुध ली
एकला सबौ भागो क्ला चर नहा।

रोजैकि थैं तेरी "राजू" कुर्सी न्हान
घमंड येतुक तुम क्ला कर नहा।

शब्दार्थ:
हाल्यान - कर दिए है
तति - इतना।  
क्ला - क्यों।  
नहा - रहे हो।
मया - दौलत।  
कैका - किसी के।  
गै - गयी।
दगडा - साथ।  
येति - इतनी।  
हैकातरि - और ज्यादा, और ज्यादा।  
त - तो।  
कोचि-कोचि - ठूस-ठूस कर।  
गोबरानि - गोबर की खुश्बू।

~राजू पाण्डेय, 02-09-2020
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