जौंव हात छन वीक चरण में

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जौंव हात छन वीक चरण में

रचनाकार: जुगल किशोर पेटशाली

सरस्वती बिणाइ बजूणी 
तीन लोक छन जैक शरण में। 
अंधकार में उज्याल् दिखूणी, 
जौंव हात छन वीक चरण में।। 

आपण खुटन में ठौर दि जाये। 
मैय्या त्वी सब पार लगाये ।।

सुकिल हंस में दुदिल कमल जसि 
उच्च हिमालय में जो छाजि रै। 
जैक द्वार में नारद मुनि की 
जुगों-जुगों बटि बीणा बाजि रै।।

त्वी यौ सब संसार छजाये। 
मैय्या त्वी सब पार लगाये।।

जो ऋतुओं में बसंत बणि रै, 
सारि धरती में फूल खिलूनें। 
सूर्ज-चन्द्रमा चक्र चलूनें, 
सारि माया के नङ में रिटूनें। 
ठण्डी-ठण्डी पौंन चलूनें, 
सुन्दर-सुन्दर सृश्टि रचूनें।

घर-घर सधैं हूँ दैण है जाये। 
मैय्या त्वी सब पार लगाये।।

दिन-दिन जो नई खेल द्यखूनी, 
मोह भंवर में मैंस नचूनी। 
अज्ञानी को हाथ पकड़नी, 
रक्षा करि-करि पार लगूनी।। 
जैक हाथ में धर्मनीति छु, 
बरदानों में जनम-जीत छु।

वी देवी का चरण-कमल में, 
जौंव हात छन वीक चरण में।।
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-जुगल किशोर पेटशाली, अल्मोड़ा, , July 3, 2021
उत्तराखण्डी मासिक: कुमगढ़ में प्रकाशित

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