उत्तराखन-उत्तराखन
रचनाकार: जगदीश चन्द्र जोशी
एक्कै जंग, एक्कै रटन
उत्तराखन-उत्तराखन।
बद्री-केदारै धात कूनै
हिमावै टुक्याव कूनै
जलूशों की लाप कूनै
नार नै की राफ कूनै
उत्तराखन-उत्तराखन।
दिना और राता कूणी
फांगा और पाता कूणी
न्योली और कफुवा कूणी
बूड़ा और बावा कूणी
उत्तराखन-उत्तराखन।
नगारा-निशाण कूणी
घर-घरै पछ्याण कूणी
स्वैणा मुणी स्वैण ऊणी
धरि है जस सिरान मुणी
उत्तराखन-उत्तराखन।
बज्याणी की हावा कूणै
यो बगनी गाड़ा कूनै
घाँटों की टंकारा कूनै
साँसों की झंकारा कूनै
उत्तराखन-उत्तराखन।
खटिमा को नौतार कूनौ
मसूरी को हंकार कूनौ
मुज्जफर को संहार कूनौ
दिल्ली को दौंकार कूनौ
उत्तराखन-उत्तराखन।
पस्यणै ताति गाड़ कूनै
तपकन ल्यो की धार कूनै
गोइ नकि छुटि गाज कूनै
बारूद की बास कूनै
उत्तराखन-उत्तराखन।
तड़फन पीड़ ल मरनी कूणौ
डालनौ भौ लै डालम टिटाणौ
जनम ल्हीणी ऊनै कूणौ
पेटै बटी कूनै ऊणौ
उत्तराखन-उत्तराखन।
चित्त में लमतम मुर्द लै कूणौ
धमकी धम-धम आ्ग लै कूणौ
उड़न-उड़नै धुँ लै कूणौ
छरीन-छरीनै छा्र लै कूणौ
उत्तराखन-उत्तराखन।
एक्कै जंग, एक्कै रटन
उत्तराखन-उत्तराखन।
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Nov 09, 2016
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