तू पहाड़ जरूर आलै

कुमाऊँनी कविता, तू पहाड़ जरूर आलै, Kumaoni Poem about connection to native hills, Kumaoni Bhasha ki Kavita

तू पहाड़ जरूर आलै।

रचनाकार: हीरा बल्लभ पाठक
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एक बखत् यस आल् भुला
तू पहाड़ जरूर आलै।

क्वे बुजुर्गैकि घात लागैलि 
जागरि लगैंहैं तबलै आलै
तू पहाड़ जरूरै आलै।

गरमैंल् मारि मरि रौछै
जबरन् जिन्नगी खैचें हैंछे भुला 
तू पहाड़ जरूर आलै।

बोतलौक् पाणि पी बेर 
नि बुझेनि प्यास भुला
तू पहाड़ जरूर आलै।

कैंसरैकि बिमारी लागैलि
पहाड़ैकि ठंडि हवा ल्हिजी भुला
तू पहाड़ जरूर आलै।

गैसौक् बहान् लागौल् 
पेट है जाल् भारि 
धार-नौवक् पांणिक् ल्हिजी भुला 
तू पहाड़ जरूर आलै।

जब तक् छु भल स्वास्थ्य 
पहाड़ हैं बाट् लै जाओ 
छोड़ो शहरैकि मारा-मारी
स्वर्ग जस मुलुक् बणाओ भुला
पहाड़ जरूर आओ, जरूरै आओ।
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हीरावल्लभ पाठक (निर्मल), 11-12-2020
स्वर साधना संगीत विद्यालय लखनपुर,रामनगर
 
हीरा बल्लभ पाठक जी द्वारा फेसबुक ग्रुप कुमाऊँनी पर पोस्ट

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