
पहाड़ हालत ख़राब हुणे
रचनाकार: भास्कर जोशी
पहाड़ हालत ख़राब हुणे,
मकान दिनों दिन बांज हूँणी,
बुड-बाड़ी घर में आश लगे रूनी,
कब घर आल म्यर नान...
यई आश बुड-बाड़ी लगे रुनी ।। ……….(1)
बुड-बाड़ी धेयी द्वारुं में टोप मार रूनी,
बाट-घ्वेंटा कें चाने-चिताने रूनी,
तली-मली जाणी पथिकों पूछने रूनी,
तली बटी ऐ-गोनल म्यर नान ..
येई आश बुड-बाड़ी लगे रुनी ।।……………(2)
बुड-बाड़ी आश-पड़ोस नानतिना कें,
अपुण नानतिना किस्स सुणोंनी,
नानछिना कशी लोट-पोट खेल्छी,
वार बटिक पार, धुरका-धुरुक नांच लागौन्छी,
यई सब याद कर बे बुड-बड़ी जी रूनी ।।………..(3)
पं. भास्कर जोशी, 25-02-2014 पर 2:50 AM

फोटो सोर्स: गूगल
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