
-:चौमास और आमाक रिश्याउन:-
रचनाकार: अरुण प्रभा पंत
ऐयी भयुं अज्यान आपण घर मददहुं
आमौक लाड़िली मैं आम रिश्या में
के खवे द्युं, के पकै द्युं, के कर द्युं, महुं
केखालै नाती, पुछ म्योर खोर पलाशि
मैं सब्बै में राजि आम् कं हालि अंग्वाल
जे बणाली सब खूंल पुज जानेरभयूं
बाबु, काक, दगड़िन दगै ख्यातन हुं
उकाव उल्हार, ट्याड़, म्याड़ बाटनैक
हमरि दौड़ भितेर बै भै भौत अलग
सिध सादि, सित्तिल, साधारण, मासूम
फ्याट कस, मन लगै बौलि बुति करि
ऐं गयां घर हुं झटपट भूख लागि भै
आम् इज बाट देखि चै राय हमन कं
घराक ब्वारी पाणि तौल्लि ल्हि ठाड़
हाथ खुट धोय बैठांअटाय में खाण हुं
अहा, जम्बू छौंकी दाव पिनाव हाली
गाब मुलौक जवांण वाल टपकी साग
आमौक हाथौक बणयी चुलबुलान रोट
दाढ़िमैक खट्टै, को गिणु र् वाटन कं
खातेजाऔ, फाड़ते जाऔ इस्टाम जा
आमौक हाथौक स्वाद या हमैरि भूख
पत्त नै कैल करौ जाद नि पढ़ां बिमार
आब यो परदेस में छुं कां गो उ स्वाद
रोज दवाय खै उठनू दवायखै सितनू
मौलिक
अरुण प्रभा पंत
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