
-:कुमाऊनी कतु सित्तिल (सरल):-
लेखिका: अरुण प्रभा पंत
खटखट, को आ?
'मधु'दा छन
अरे मधुसूदन, हाय कब पुजछै?
बुबू(बुआ) पैलाग
दीर्घै भाऊ, सब आसल कुशल?
होय, सब ठीकै छु पै, बुबू, ब्लाक रेबका तंग करणयीं।
उं पैल्लियै बै उसै भाय, आब बुढ़ि जै ग्याय, तु जनार्दन थैं बात करनै, उ समझदार भौय उनार पुर परिवार में। जनि दा(जनार्दन) अज्यान आपण सौरास(ससुराल) छन, उनार सावौक ब्या छी फिर उनैरि सास बीमार हैगे। इथकै म्यार छुट्टी पुरि ग्याय,मैं ऊनै रैयूं।
"छाड़ हाय ,जे होल होल, तू आपण काम में ध्यान लगा। नय नय नौकरी भै। बल्कि तु आज यैं रौ। भोल यै बै जालै आपण काम में। आज खूब फसक फराव करुंल। के खालै बता?"
"जे तेरि मर्जी"
"चल तु पैल्ली नै ध्वे ल्हे। एक चहा पिनु। फिर खाणैक तैयारी।"
"अहा त्योर हाथौक आदौक चहा"
"जरा मैं साग अड्याव द्यूं, ताल लागौल, तू बैठ"
"के बणै राखौ?"
वी दाल भात टपकी ,खट्टै और रोट।
त्यार भिंज्यू(बुआ का पति) संदी करणयी, पै लगूंल खाण।
कठिन लुप्तप्राय शब्द:-
१. संदी - संध्या, पूजा(गायत्री मंत्र)
२. टपकी - दाल भात के साथ। बनने वाली सब्जी
३. अड्याव द्युं - इसे खिरोलना भी कहते हैं,अर्थात सब्जी चलाना
४. आदौक चहा - अदरख की चाय
५. फसक फराव - गप, बातचीत
६. सावौक - साले का
७. पुरि ग्याय - पूरी होगयीं, समाप्त हो गयीं
८. पैल्लियै बै - पहले से
९. उनार - उनके
पहले कुमाऊनी में बुआ के पति और बड़ी बहन के पति को भिंज्यू कहते थे। अब बुआ का पति फूफाजी और बड़ी बहन का पति जीजाजी कहलाने लगा।
मौलिक,
अरुण प्रभा पंत
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