
"चेलि कैं बचाओ चेलि कैं पढाओ"
रचनाकार: मोहन चन्द्र जोशी
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कुमाऊँनी गीत
चेलि कैं बचाओ चेलि कैं पढाओ।
जोर जोर ल् य नारा लगाओ।।
जब पढली चेली परिवार पढल।
तबै समाज कुछ अघिल बढल।।
ऑखि नि खुली कओ के हल?
कदु भल लागल बताओ।।
सुणो हो चेलि कैं पढाओ।।
आज को क्षेत्र जाँ कासिल चेलि न्हैं।
तुमर भरौस जो वापस देलि नैं।।
भरौस धरो हिम्मत परि वीकी।
अघिलॉ हैं चेलि कैं बढाओ।
सुणो हो चेलि कैं पढ़ाओ।।
वी सीता उ वी भगवती छू।
वी राधा उ वी पार्वती छू।।
उ कौशल्या छू वी छु यशोदा।
वी लक्ष्मीबाई लै उ चाओ।।
सुणो हो चेली कैं पढाओ।।
सब च्याल चेलि छन एक समान।
बरोबरि छू द्विनूँ क् मान।
जो फरक चितौं उ ठुल अज्ञान।।
य ज्ञान कैं जगत फैलाओ।
सुणो हो चेलि कैं पढाओ।।

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मोहन जोशी, गरुड़, बागेश्वर। 29-01-2016
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