
"भनदा चपरासि ठुल या स्याप्"
लेखक: दुर्गा दत्त जोशी
*काथ् पढि बेर बताया हो।*
भनदा यक् दफ्तरक् चपरासि भै कौंछा" भै" भल हुस्यार छाव छरपट लै"। यदुक उसाताद कि ऊं कौंछा भनदा भाल् भालनैकि हजामत बणौंणी भै। भनदाक् स्याप बड़ खतरनाक जस भै रोज्जे रौब डालनेर भै। घडि घडि में चहा ला पाणि ला य पत्र वां दिया य उथकहिं धर दिन भरी छां फना करि दिनेर भै। उल्ट सुल्ट लै बुलानेर भै। कथलि गालि लै दि दिनेर भै।अब् पोस्ट कि बात भै भनदा थ्या रखनेर भै कौंछा।
यक् दिन उ स्यापलि भनदा भौतै अथाहि परेसान कर द्यू द्वि चार गालिक् आंखर लै सुणा दी। उ दिन् भनदालि उ स्यापक् भल ईलाज सोच् कौंछा। स्यापक् घरें जाण बखत भनदालि टिफिन में यक पर्च द्वि टुकुड मिठ्या धरिदी। पर्च में लेखी भै "डार्लिंग य मिठ्या तुमीं खाया मैंनि तमनें धरि रखी ऊ भुतणिं कें झन दिया। मिठ्या कसि लागि मैं कें रत्तेहीं बताया।" स्याप कें याक् बार् में के पत्तै न भै कि टिफिन में के पत्र छ हौर मिठ्या छ कैबेर। स्यापलि टिफिन घर रसोई में दियो आपण कमर् में ऐगै।
उनरि स्यांणिलि टिफिल खोल् उ में धरि पर्ची पढि उमें लिखी भै, "डार्लिंग तुमी खाया उ भुतणि कैं झन दिया।" स्यापकि घरवालि लै हुस्यार भै ठुलि बापुकि चेलि भै य सब पढि देखि बेर ऊ कें ऐगे सतों असमानक् गुस्स। आब् कि छ्यू स्यापक् चुटान शुरु है गै। स्यापकि स्याणिल रात्भरि स्यापक् खूब पिटाई कर दी। रत्तैहिं स्याप निचि गर्दन करिबेर लचकि लचकिबेर औंनारै। उनार खुटाक् हड्डि में ठुलि चोट लागि भै बिचार शरमाक् वीलि के न बतौंनारै।
स्यापकें देखिबेर भनदाकें खूब हंसि ऐगे झट्ट स्यापक् पास जै बेर हाथ पकड़ि बेर आफिस जानेक् लैगै। उदिन बटिक स्याप कें समझ में ऐगै हो कि भनदा चपरासि लै टांग टोडि सकों। स्यापक् लै उल्ट सुल्ट बुलाण् लै भेद भै हो कोंछा। तसि भै यैक लिजी कई ई कें लै नान् समझि बेर ह्याव न बणौंन च्यान।
यक् दिन उ स्यापलि भनदा भौतै अथाहि परेसान कर द्यू द्वि चार गालिक् आंखर लै सुणा दी। उ दिन् भनदालि उ स्यापक् भल ईलाज सोच् कौंछा। स्यापक् घरें जाण बखत भनदालि टिफिन में यक पर्च द्वि टुकुड मिठ्या धरिदी। पर्च में लेखी भै "डार्लिंग य मिठ्या तुमीं खाया मैंनि तमनें धरि रखी ऊ भुतणिं कें झन दिया। मिठ्या कसि लागि मैं कें रत्तेहीं बताया।" स्याप कें याक् बार् में के पत्तै न भै कि टिफिन में के पत्र छ हौर मिठ्या छ कैबेर। स्यापलि टिफिन घर रसोई में दियो आपण कमर् में ऐगै।
उनरि स्यांणिलि टिफिल खोल् उ में धरि पर्ची पढि उमें लिखी भै, "डार्लिंग तुमी खाया उ भुतणि कैं झन दिया।" स्यापकि घरवालि लै हुस्यार भै ठुलि बापुकि चेलि भै य सब पढि देखि बेर ऊ कें ऐगे सतों असमानक् गुस्स। आब् कि छ्यू स्यापक् चुटान शुरु है गै। स्यापकि स्याणिल रात्भरि स्यापक् खूब पिटाई कर दी। रत्तैहिं स्याप निचि गर्दन करिबेर लचकि लचकिबेर औंनारै। उनार खुटाक् हड्डि में ठुलि चोट लागि भै बिचार शरमाक् वीलि के न बतौंनारै।
स्यापकें देखिबेर भनदाकें खूब हंसि ऐगे झट्ट स्यापक् पास जै बेर हाथ पकड़ि बेर आफिस जानेक् लैगै। उदिन बटिक स्याप कें समझ में ऐगै हो कि भनदा चपरासि लै टांग टोडि सकों। स्यापक् लै उल्ट सुल्ट बुलाण् लै भेद भै हो कोंछा। तसि भै यैक लिजी कई ई कें लै नान् समझि बेर ह्याव न बणौंन च्यान।
स्वरचित, 23-07-2020
दुर्गा दत्त जोशी

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