
(रिश्तेदारी में जीजा-फूफा के महत्व पर कुमाऊँनी व्यंग्य)
लेखक: डी.पी. तिवारी
यो भिंज्युनौक तो ब्या कामकाजन में ध्यो मनुण है जाँ कुँछा। क्वे ब्या मौकन में जब लै तुम क्वे अधेड़ मैंशकें देखला जो पुराण, उधड़ती सिलाई वाल सूट पैरबेर, नकजौ मुँह बणई तनी हुई घूमण लागी हो और वीक इर्द गिर्द द्वि या तीन उबी हुई मैंश मनूण बोत्यूणैकी मुद्रा में हो। तो बेखटक समझ ल्हिण चेंं कि योई आदिम धुलौक भिंज्यु, फूफा या जीजू छू। यश मांगलिक मौक हो और अगर भिंज्यु मुँख नी फुलालो तो भिंज्यु कसी कौल लोग उथें!
आपुण हैसियत देखुणोक आखिरी मौक जो भै उनौर और यो ऊ मौक हूँ जकें क्वे लै भिंज्यु गवुण नी चान। "अब भिंज्यु करनी कसी यो सब ? अघीन हूँ देखौ, ऊ क्वे नके बात पर अनमनी जाल। चिड़चिड़ाल, तीखी बयानबाज़ी करौल, क्वे बेतुकी सी बात में आपुणि बेइज़्ज़ती हुणै कैबेर क्वे यश जाणी पछाणि जाग हूँ न्है जाल जाँ बे मनै बोत्त्यै बेर बलायी जै सकौल। वाजिब बात आखिर भिंज्यु यस करनेरै किलै हुनाल?
दरअसल भिंज्यु जो हूँ नै, ऊ बीती हुई जीजू हूँ और ऊ यो मानण हूँ कत्तई तैयार नी हून कि वीक भल दिन खतम है गयीं और वीक सम्मान क्वे नयी छ्वारैं कें मिलण हूँ जाणों। भिंज्यु तो भिंज्युई बणी रुण चाँ और के नी हुंण चान और ब्याकामकाजनाक नाज़ुक मौकन में ऊनौर मूँख फुलुण जीजू वाल भौकाल बणी रुणैकी नाकाम कोशिश भर हूँ। भिंज्युकें यो ग़लतफ़हमी हूँ कि उनैरी नाराज़गी कें भौत गंभीरताल ल्ही जाल पर अमूमन यस हुन न्है। बरौक बाब उकें बतौर भिन ढोते-ढोते पैंलियै बे भौत थकी हुयी हूँ। वीक मली च्यालाक ब्याक सौ लफड़ा यैक लिजि ऊ पैंलि तो एकाध बार ख़ुद कोशिश करों और थक-हारबेर आपुण यै तथाकथित भिंज्यु कें आपुण क्वे दुहार भाईबंद कें थमैबेर और दुहार ज़रूरी कामन में लाग जाँ।
बाकी लोग भिंज्युक ऐंठण कें व्याक दुहा रिवाजनाक जस ल्हीनी। ऊ यो मानबेर चलनी कि यो योई सब करनहूँ ए रौ और आब ऊ यो नी करलो तो और के करौल? ज़ाहिर बात छू कि उलै उकें किलै तवज्जो द्द्याल। भिंज्यु मुणी लै समझदार भयो तो बात कें ज़्यादा नी बढ़न दिन, ऊ माहौल भाँप जाँ, मामला हाथ है भैर निकलौ वी हैबेर पैंलि मान जाँ। शैंणीक तरेरी हुई आँख उकें सब समझै दिनी कि बात अघीन बढूँण अब ठीक न्है लिहाजा, ऊ बहिष्कार खतम कर ब्याक मुख्य धारा में लौट उँँ।
दरअसल भिंज्यु जो हूँ नै, ऊ बीती हुई जीजू हूँ और ऊ यो मानण हूँ कत्तई तैयार नी हून कि वीक भल दिन खतम है गयीं और वीक सम्मान क्वे नयी छ्वारैं कें मिलण हूँ जाणों। भिंज्यु तो भिंज्युई बणी रुण चाँ और के नी हुंण चान और ब्याकामकाजनाक नाज़ुक मौकन में ऊनौर मूँख फुलुण जीजू वाल भौकाल बणी रुणैकी नाकाम कोशिश भर हूँ। भिंज्युकें यो ग़लतफ़हमी हूँ कि उनैरी नाराज़गी कें भौत गंभीरताल ल्ही जाल पर अमूमन यस हुन न्है। बरौक बाब उकें बतौर भिन ढोते-ढोते पैंलियै बे भौत थकी हुयी हूँ। वीक मली च्यालाक ब्याक सौ लफड़ा यैक लिजि ऊ पैंलि तो एकाध बार ख़ुद कोशिश करों और थक-हारबेर आपुण यै तथाकथित भिंज्यु कें आपुण क्वे दुहार भाईबंद कें थमैबेर और दुहार ज़रूरी कामन में लाग जाँ।
बाकी लोग भिंज्युक ऐंठण कें व्याक दुहा रिवाजनाक जस ल्हीनी। ऊ यो मानबेर चलनी कि यो योई सब करनहूँ ए रौ और आब ऊ यो नी करलो तो और के करौल? ज़ाहिर बात छू कि उलै उकें किलै तवज्जो द्द्याल। भिंज्यु मुणी लै समझदार भयो तो बात कें ज़्यादा नी बढ़न दिन, ऊ माहौल भाँप जाँ, मामला हाथ है भैर निकलौ वी हैबेर पैंलि मान जाँ। शैंणीक तरेरी हुई आँख उकें सब समझै दिनी कि बात अघीन बढूँण अब ठीक न्है लिहाजा, ऊ बहिष्कार खतम कर ब्याक मुख्य धारा में लौट उँँ।
हालांकि, ऊ हँसण बलाण फिर लै न्हा और वीक अकड़ बरकरार रुँ। वीक एकाध उम्रदराज सालि और शैंणी ज़रूर थोड़ी-बहुत अघिन पछिन लागी रुनी पर जल्दी ही ऊ लै उकें भगवान भरोसे छोड़-छाड़बेर दुहारन दगड़ रिश्तेदारी निभूण में व्यस्त है जानी। भिंज्यु बहादुर शाह ज़फ़रैकि गति कें प्राप्त है जाँ, आपुण राज हाथबे फिसलते देख बेर कुढो पर कथयिं के नी कै सकन। मनमसोसबेर खाणु खैबेरन दूहारन हैबेर भौत पैंलि व्याक पंडाल छोड़बेर खर्राटा ल्हिण हूँ आपुण कम्र में लौट जाँ। अगर पी पायी भयो तो उसी लै के कामौ नी रुनेर भै। भिन चूँकि और के कर नि सकन यैक लिजि ऊ योई करों सबनाक याँ।
यै हालात कें देखते हुए मेरी आपूँ सबन थें यो अपील छू कि भिंज्युनाक मली हँसिया झन। क्वे लै आजीवन भिंज्यु/जीजू नि बणी रै सकन। आज नै तो भोलहूँ तुम सबन केंं लै फूफा हैबेर मार्गदर्शक मंडलौक हिस्स बण जाँण छू। आजाक भिंज्युनैक इज़्ज़त करला तबै आपुण भिंज्यु वाल दिनन में लोगन थें खुद लै इज़्ज़त पै सकला।
बाकी अघिन आपुँ लोग ख़ुद समझदार छा।
यै हालात कें देखते हुए मेरी आपूँ सबन थें यो अपील छू कि भिंज्युनाक मली हँसिया झन। क्वे लै आजीवन भिंज्यु/जीजू नि बणी रै सकन। आज नै तो भोलहूँ तुम सबन केंं लै फूफा हैबेर मार्गदर्शक मंडलौक हिस्स बण जाँण छू। आजाक भिंज्युनैक इज़्ज़त करला तबै आपुण भिंज्यु वाल दिनन में लोगन थें खुद लै इज़्ज़त पै सकला।
बाकी अघिन आपुँ लोग ख़ुद समझदार छा।
कुमाऊँनी रूपांतरण✍🏽डीपी तिवारी

फेसबुक ग्रुप Myar Kumaon से साभार
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