
म्येरी पराणी तरसी गे
रचनाकार: चन्दन रावत
(गीत)
विरूठा न तोड़ मेरी आस,
म्पेरी पराणी'मा लैरो निरास।
मनकि पीड़ आँखूमा ऐगे,
आंस बणी बै बरसी गे।
त्येरी बाटि चानै-चानै,
म्येरी पराणी तरसी गे।
आंखू कोल्मा बगनी आंस। ......
उंच डानमा डाईयोमा.
बांसी घुगुति घुरू-घुरू।
त्येरी याद ऐ तु नि आयै,
तु लै आनै सुरू-सुरू।
द्वी घड़ी दी जानें दिलास।।......
अपण रात बिताया मैल,
अगाशा तार गणी-गणी।
दिन काटनू रुनै-रुनै,
लागीं जब त्येरी रणमणी।।
हंसै जानै य मन उदास।।......
चैत न्हैगो बैशाख गोय,
आब लागि गोछ जेठा।
उ दिन कभणी आल,
ते दगड़ हली भेटा॥
कब बैठ लै हिरदकि पास।।......


चन्दन रावत जी की फेसबुक ग्रुप कुमाऊँनी शब्द सम्पदा पर पोस्ट से साभार
फोटो सोर्स गूगल
0 टिप्पणियाँ