बाखयी आम

कुमाऊँनी कविता-गौ का बाखली बीच, आमा बैठी होली, म्यारा च्याला नी आया, बाट चाई रोली Kumaoni Poem dedicated to value of grand mother

बाखयी आम
रचनाकार: बीना फुलेरा

गौ का बाखली बीच
आमा बैठी होली
म्यारा च्याला नी आया
बाट चाई रोली

पाणी पिलै जा ओ पनेरू
आँचुली की धारा
मेरा हिया सुखी रौछ
प्राणों को आधारा।
आखु का गीदाड़ विका
सुखी ग्याना आबा
हाथो का आँगुवा लै
नी पूजना खापा

टंगड़ी रघोड़ी आमा
बैठी रै भिडी मां
पराणी अटकि रैछ
जाणी को सीडी मां

भतैर धरला या भयारै रौली
पहरू छ यो दैयी माँव खोली
नी आया हो म्यारा च्याला
आशा लागि होलि

किलै रिसाणा सब अबोल है गया
घोली का चाण जास सबै छोड़ि गया
यो गौ बखिई सबै छि पछ्यांणा
कवै किले में हूँणी नि बुलाणा

आँख नी देखनि आमा
कानू पड़ी बजरै की तोली
म्यारा च्याला नी आया
बाटा चा ई होली।

बॉक्से की चाँबी आमा
धोती गांठ बॉधी होली
हिस बाँट ओड़ सबै
निशाण लगाई होली

हिमुली की ईजा का गै
का गया रमिया का बाज्यू
मेरी मधुली दीदी काछु
का गया हो यो गौ का दाज्यू

सुखिया पातलि उड़ि
आमा थै यो कयो
सबै न्है ग्यान आमा
आब या कवै नी रयो

हँसुली पराणी विकी
हिया थामी होली
च्याला म्यारा नी आया
बाट चांई होली ।

गौ का बाखली .......l

बीना फुलेरा ( हल्द्वानीबटि)

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