
"हम ठगी गयां" वरिष्ठ साहित्यकार श्री श्याम सिंह कुटौला ज्यू
कुमाउनी इंटरव्यू ©हमार कुमाउनी रचनाकार【14】
प्रस्तुति: राजेन्द्र ढैलामित्रो, मैंन एक सीरीज जसि शुरू कर राखै जमें एक संक्षिप्त परिचय करूंण लाग रयूँ आपूं सब लोगन् कें, हमार कुमाउनी रचनाकारों'क जो आपणि लेखनील कुमाउनी बोलि-भाषा, साहित्य और संस्कृती'कि सेवा में जुटि रयी।
★यै क्रम में, आज मैं आपूं लोगनाक् परिचय करूंण लाग रयूँ हमार वरिष्ठ साहित्यकार श्री श्याम सिंह कुटौला ज्यू दगाड़। जनर जनम 15 मई सन 1955 हूँ ग्राम-सूरी, डाकघर-रज्यूड़ा (सालम), बिकासखंड-लमगड़ा, जनपद-अल्माड़ में इजा-चंद्रा देवी व बौज्यू श्री आन सिंह कुटौला ज्यू वाँ भौ। इनरी प्राथमिक शिक्षा प्राइमरी पाठशाला बाराकोट बटी और इंटरैकि पढाई सन 1973 में सर्वोदय इंटर कॉलेज जयंती सालम में संपन्न भै। उबाद एक सालै ट्रेनिंग करिबेर पावनेश्वर महाविद्यालय पुभाऊं में सन 1975 में प्रधानाध्यापक बणीं। लेकिन उच्च शिक्षा कुमाऊं विश्वविद्यालय बटी प्राईवेट करते रयी। (एम ए)। 30 जून 1990 में स्कूलक प्रांतीय करण/उच्चीकरण हुणा वील यौ ले सरकारी अध्यापक हैई और 31 मार्च 2016 हूं अध्यापन कार्य सरकारि सेवा बटी रिटैर हैई। इनर वर्तमान निवास स्थान कुटौला निवास, ढुंगाधारा, अल्माड़ में छ वैं बटी आब यौ आपणि साहित्य साधना करण लाग रयी। इनूंक पांच नान्तिन छन तीन चेली-दीपा,ममता,सुनीता और द्वी च्याल-दिनेश, प्रियांशु।
आओ जाणनु इनार बा्र में इनन दगड़ी हैई बातचीताक माध्यम'ल....
सवाल01◆ रचना धर्मिता कब बटी और कसिक शुरू भै कुमाउनी लिखणैकि प्रेरणा कां बटी मिलै?
जवाब● मैं जब कक्षा सात में छी तो हमार हिंदी'क शिक्षक श्रीयुत गंगा प्रसाद जोशी ज्यूल एक कविता पढ कौ सभा में तबै बटी छोट-मोट लिखण शुरू भौ। कुमाउनी लिखणेकि प्रेरणा स्व.बालम सिंह जनौटी ज्यूक कुमाउनी आश्रम बटी मिलै।
सवाल02◆ आपुण खास शौक के-के छन?
जवाब● शौक के खास न्हैंतीन। शतरंज, बॉली-बॉल, और क्रिकेट खेलों कभैं-कभैं।
सवाल03◆ उ तीन मनखीनों नाम बताओ जनरी जीवनी और कार्य आपूं कें हमेशा प्रेरणा दिनी?
जवाब● लालबहादुर शास्त्री, अटल बिहारी वाजपेयी और जयप्रकाश नारायण।
सवाल04◆ आपुण लोकप्रिय मनखी को छन? क्वे एक' नाम बताओ।
जवाब● लोकप्रिय मनखी भौत छन।अच्याल मोदी ज्यूल देश'क नाम उज्याव करि राखौ।
सवाल05◆ आपूं हिंदी और कुमाउनी'क को-को विधाओं में आपणि कलम चलूंछा और आपणि लिखणेकि मनपसंद विधा के छ?
जवाब● कविता, कहानि, उपन्यास, नाटक और समालोचना खाल्ली सबन में हात डाली भै पुर के नि भै। मनपसंद विधा कविता छ।
सवाल06◆ कुमाउनी - हिंदी में प्रकाशित (किताबौं) रचनाओं नाम के-के छन आपुण?
जवाब● (१)संस्कृत व्याकरण का पथ प्रदर्शक, (२)'संग्राम' हिंदी खंड काव्य, (३)श्री रामसिंह धौनी चरितमानस, (४)आपभी गुनगुनाइए (जनक छंद हिंदी), (५)'मेरि जड़' कुमाउनी उपन्यास, (६)कुमाउनी अंताक्षरी, (७)'अवमवाट' कुमाउनी उपन्यास, (८) 'प्रतीक्षा' हिंदी उपन्यास, (९)प्रयास' हिंदी कहानी संग्रह, (१०)बौयाट' कुमाउनी कविता संग्रह, (११)धन-धना-धन' कुमाउनी खंड काव्य, (१२) शीर्ष' हिंदी कविता संग्रह।
संपादन●१)सूप (हिंदी-कुमाउनी) त्रैमासिक पत्रिका,
२)रामसिंह धौनी स्मारिका 1999में,
३)चारू चंचला का क्षेत्रीय संपादक और
विभिन्न सामुहिक संकलनों में रचनाओं का प्रकाशन व पत्र पत्रिकाओं में समय-समय पर रचनाएं प्रकाशित।
सवाल07◆ लेखन कार्य करते हुए आपूं कें आज तक के-के सम्मान और पुरस्कार मिलि रयी?
जवाब● (1) ऋचा प्रकाशन कटनी म०प्र०का 'साहित्य भूषण' 2008,
(2) {भारतीय वाड़मय पीठ कोलकाता का- १)'सारस्वत सहित्य सम्मान' 2008, २)कविगुरु रवींद्रनाथ ठाकुर 'सारस्वत साहित्य सम्मान'2009, ३)'कविगुरु रवींद्रनाथ ठाकुर सम्मान'2011}.
(3) जैमिनी अकादमी हिंदी भवन पानीपत का 'उत्तरांचल रत्न'2010,
(4) साहित्य सरोवर बल्लारी, कर्नाटक का 'साहित्य गौरव'2012,
(5) कुमाउनी भाषा एवं संस्कृति प्रसार समिति अल्मोड़ा द्वारा- (१)बालगीत लेखन पुरस्कार-2014, (२)कुमाउनी उपन्यास लेखन पुरस्कार-2015, और (३)कुमाउनी खंड काव्य लेखन पुरस्कार-2016,
(6) सृजन की संवाहक पंखुड़ी एवं अर्पिता रूद्रपुर का 'साहित्य रत्न'2017 . और लै कई मंचों बटी सम्मानित हुणक सुअवसर प्राप्त हौ।
सवाल08◆ अच्छा अन्य उपलब्धीन पर बात करनौ त कि-कि ह्वाल?
जवाब● "श्याम सिंह कुटौला व्यक्तित्व एवं कृतित्व" विषय पर कुमाऊँ विश्वविद्यालय के पीजी कॉलेज बागेश्वर बटी डॉ.दीपा गोबाड़ी क निर्देशन में बाल विवेक जोशी द्वारा लघु शोध वर्ष 2011 में।
और कविता, कहानि और लेखों'क आकाशवाणी'क विभिन्न केंद्रों बटी प्रसारण।
सवाल09◆ आपुण हिंदी और कुमाउनी'क प्रिय लेखक को-को छन, एक-एक नाम बताओ?
जवाब● हिंदी में प्रेमचंद, मैथलीशरण गुप्त
और कुमाउनी में शेरदा अनपढ।
सवाल10◆ आपुण जिंदगी एक यादगार किस्स बताओ जो सबन दगड़ी साझा करण चाँछा?
जवाब● आपण ब्या- मेरि बरात सालम बै बागिसर गै। एक केमू गाड़ि करी भै। मैंन सारि गाड़ि में इलाकपना'क उ बुड़ जो कें तीर्थ न जै रौछी, भरि दी। युवा मैं समेत तीन चारै भै। बरात बागिसर पुजि गै। मैं और म्यार दगड़ू अल्माड़ै भयां। वाँ धिराट हैगै। जनवासा स्टेशना नजीक होटल में करी भै। उनूलि स्वच इनूई में कोई बर छू। हम ठगी गयां। ततुक में वाँ बालम सिंह जनौटी पुजिग्यै। उनूल समजा, उनून कौ मैं जाणु बर कें उ म्यर दोस्त छू। एकाध घंट में हमलै ऐगयां। तब उनूं कें सांस आ।
सवाल11◆ आपण जिंदगी'क सबन हैं खुशी वा्ल एक मौक बताओ?
जवाब● जब मेरि पैल किताभ छपै 'शिक्षक बंधु' अलीगढ़ बटी।
सवाल12◆ अछा आपुण जिंदगी'क मूल मंत्र कि छ?
जवाब● मेरि जिंदगी'क मूल मंत्र छ- आपण काम ईमानदारी'ल करौ। सब येती रौं दगाड़ के नि जा्न। भल नाम कमौ।
सवाल13◆ नवोदित लेखक व रचनाकार कस काम करनयी और नई पीढी'क रचनाकारों हूं कि कूंण चाला?
जवाब● नई रचनाकार भौत भल काम करनयी। मैंन पैलियै कै राखौ कि यौ कुमाउनी'क स्वर्ण काल छू। नयी पीढी रचनाकार'न धैं कूंण चां कि अध्ययन जरूड़ी छू। खूब पढन चैं।
सवाल14◆ आपुण मन पसंद पहाड़ि खाणु के छ?
जवाब● भटा डुबुक झोई दगै आहा राव टपकनै।
सवाल15◆ आपूं जबकि आब सेवा निवृत्त हैगहा त आब आपणि दिनचर्या कसी बितैं के - के करछा आपूं?
जवाब● रिटैर हैई बै बिमार हैगी हो। दमा म्यर रिटैरमेंट कें चै रौछी, घरै रौंछ। रत्तै ब्याल एक-एक घंट छत में घुमूं। नौ बाजी नाश्ता करिबेर काम में लागि जाँ, काम भौत छ। एक उपन्यास मा्ज लगै राखौ। चार-पांच किताब समीक्षा तें ऐरयी। असमर्थता जतैबेर लै नि मानन। दिन कब कटौ अंताजै नि ऊंन। भेटघाट वा्ल लै आते रौनी।
सवाल16◆ आपूं टीवी में के देखण भल मानछा?
जवाब● टीवी एक रोग छू। बैष्णव देवी आरती ब्यालकरै रोज संदीपुज करिबेर सुणू। कभै मैच देखूं। समाचार रेडियो में सुणूं। रेडियो लागि रौं काम लै चलते रौं। पत्रकार लै कलजुगी हैगी उनून लै परिवार पावण भै। जिसका भात खाना उसका गीत गाना।
सवाल17◆ वर्तमान में के रचनौछा और आपुणि ऊणी वाली क्वे रचना?
जवाब● एक उपन्यास तयार छू पैं और 'पांच लाप' कुमाउनी नाटक छपनारै लौकडाउन में फस रै।
सवाल18◆ क्वे यस काम जो आपूं समजंछा अगर यौ है जांछियो तो भौत भल हुंछी?
जवाब● मैं तस के न सोचनी। काम'क के अंत न्हैंतीन होई है सोई जो प्रभु रची राखा। मैं हर दिन कें अंतिम दिन समझूँ। सब प्रभु माया छू।
सवाल19◆ सहित्य के छ आपुण शब्दों में बताओ?
जवाब● साहित्य'क मतलब संक्षेप में- साहित्य हमूंकें आपणि जड़ों दगै जोड़िबेर समग्र रूपल पछ्याणनैकि ताकत विकसित करूँ। साहित्य वी भै जमें समाजकि भलाई हो।
सवाल20◆ आपण पुर कुमाउनी समाज हूँ क्वे संदेश?
जवाब● आपणि बोलि-भाषा रीति रिवाज'न कें कभै न भुलण चैंन। पछुवा हौ'लि हमरी संस्कृति बिगाड़ी हालै। तौ हौ' हैं बचिबेर रौंण भै।
सवाल21◆ क्वे यसि बात जो मैंन पुछि न और आपूं सब लोगन दगड़ी साझा करण चाँछा?
जवाब● आपूलि भौत पुछि हालौ हो, ततुक आज तक कैलि पुछै न। हमन आपण युवाओं पर गर्व छू कि आपूं लोग भल बा्ट हिटनौछा। हिटते रया, रूकिया झन। धन्यवाद।
हार्दिक धन्यवाद महोदय आपूंल टैम निकालौ। भौत भल लागौ आपूं दगै बात करिबेर।
सप्रेम धन्यवाद भुला राजेंद्र
★प्रस्तुति राजेंद्र ढैला, काठगोदाम।
आपसे अनुरोध है कि कलाकार के रूप में ढैला जी की प्रतिभा को जानने के लिए
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