जिम कार्बेट पार्काक् शेर......

कुमाऊँनी भाषा में शेर-शायरी, ज्ञान पंत जी द्वारा  Kumauni Sher-Shayari by Gyan Pant, Kumaoni Shayari

जिम कार्बेट पार्काक् शेर......

रचनाकार: ज्ञान पंत

मैंसा खिलाफ
मैंस ठा्ड़ है रौ
बँण्याठ ल्ही बेरि
पौयूँण लागि रौ......
डाँसि ठुँङन
पाँणि पिवै-पिवे बेरि
पत्त नै
कि करणैक
सोचण लागि रौ भुला......
हमा्र लोकतंत्र में
आ्ब चुनाव
यसी कै हुँण लागि रौ।
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मनखिनैं लिज
मनखिनां हिसाबैलि
मनखिनैं'कि सरकार में
"मैस्योव" छाड़ि दियौ त
बौ जितै.......
और के कमीं नि भै हो!
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आज तु नेता
भोल मैं....
आज तु खालै
भोल मैं खूँन
यसी कै पहाड़
ढुँङ में धरुँन.....
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बखत पर
घाम नि आयै त
के फैद....
बुशी धानन् में
कतुकै पाँणि लगाऔ....
पिंगौव तिना्ड़
हरीं नि हुनेर भै....
........................
बखत पर
बहौड़
हव् नि लगायो त
फिर घर-बँण
कैं को ले
नि रुनेर भै.....
........................
जिन्दगी 'की न्याँत
बखत पर
खेत नि समायि त
फिर बंजर खेतन में
लाख हव् बाऔ
डेल फोड़ौ
मै लगाऔ
के नि हुनेर भै.....
........................
खाल्ली
घा-पातनैलि
के होल् कै हरौछा
असल जिन्दगी में......
ग्यूँ-धान' न है बाहिक
फल - फूल ले की
चैनेर भै।


शब्दार्थ:- 
बँण्याठ - लम्बे हत्थे वाला औजार, 
डाँसि ढुँङन - (बेअसर) नदी के पत्थर,  
पौयूँण  - धार करना, 
मैस्योव - मानवता,  
ढुँङ में धरुँन - खोखला करेंगे
बुशी धान - खराब धान की पौध,  
पिंगौव तिनाड़ - पीली पड़ गई पौध,  
बहौड़ - बछड़ा,  
हव् बाऔ - हल चलाओ, 
डेल फोड़ौ - खेतों में मिट्टी के ढेले फोड़ना,
मै - लकड़ी के दाँत बना हल, 
बाहिक - अतिरिक्त/अलावा,  
चैनेर -  चाहिए

...... ज्ञान पंत, May 28, June 3, 2018
ज्ञान पंत जी द्वारा फ़ेसबुक ग्रुप कुमाऊँनी से साभार

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