
जिम कार्बेट पार्काक् शेर......
मैंसा खिलाफ
मैंस ठा्ड़ है रौ
बँण्याठ ल्ही बेरि
पौयूँण लागि रौ......
डाँसि ठुँङन
पाँणि पिवै-पिवे बेरि
पत्त नै
कि करणैक
सोचण लागि रौ भुला......
हमा्र लोकतंत्र में
आ्ब चुनाव
यसी कै हुँण लागि रौ।
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मनखिनैं लिज
मनखिनां हिसाबैलि
मनखिनैं'कि सरकार में
"मैस्योव" छाड़ि दियौ त
बौ जितै.......
और के कमीं नि भै हो!
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आज तु नेता
भोल मैं....
आज तु खालै
भोल मैं खूँन
यसी कै पहाड़
ढुँङ में धरुँन.....
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बखत पर
घाम नि आयै त
के फैद....
बुशी धानन् में
कतुकै पाँणि लगाऔ....
पिंगौव तिना्ड़
हरीं नि हुनेर भै....
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बखत पर
बहौड़
हव् नि लगायो त
फिर घर-बँण
कैं को ले
नि रुनेर भै.....
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जिन्दगी 'की न्याँत
बखत पर
खेत नि समायि त
फिर बंजर खेतन में
लाख हव् बाऔ
डेल फोड़ौ
मै लगाऔ
के नि हुनेर भै.....
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खाल्ली
घा-पातनैलि
के होल् कै हरौछा
असल जिन्दगी में......
ग्यूँ-धान' न है बाहिक
फल - फूल ले की
चैनेर भै।
शब्दार्थ:-

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