आ'स - कुमाऊँनी कविता

आ'स - कुमाऊँनी कविता, kumaoni poem about expecting someone to come,kisi ke aane ki ummeed par kumaoni poem

आ'स

रचनाकार: रेखा उप्रेती

पत्त छी नि आलै
पै आ'स जै लागि रौछी..

कम हरौ ज कुहूँ
काव लै बासि गो रत्तै-रत्तै
बेली ब्याल
आग लै भुरकण भगो छी
द्वी-तीन दिन बटि
बौं आँख लै फड्कँणो छी

लुकै रा'ख छी
ते बानि दाड़िम आखोड़
द्वी तिनाड़ हर्याव लै
बचै रा'ख छी
भल मानैं छै कबेर
भड्डू में बणि दाव
अध्याणि लै
धर हा'ल छी

आँख पटै गयिं रे
नि देखिणए ऊण
दिन धार में
लाग गो
कभत् तलै
चै रूँ!!

तदुक निर्मोही त
न्हातै रे
बा'ट लागि रै हुनैलै
कत्तु साल है गेयिं
कैं भबरि गै हुनैलै...

रेखा उप्रेती, 29-07-2020

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