जय जय देव देवाला - कुमाऊँनी गीत

कुमाऊँनी  गीत, जय जय देव देवाला, Kumaoni song by Mohan Joshi, Kumaoni Bhasha ka geet, Kumaonigeer

"जय जय देव देवाला"

कुमाऊँनी  गीत
रचनाकार: मोहन चन्द्र जोशी
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उत्तराखण्ड भूमि पावन, सुन्दर सुकिल हिवाला।
गंगोत्री-जमुनोत्री निर्मल, जय जय देव देवाला।।

वीरों कैं जनमोंणी भूमी,
नाँज उगन उर्वर स्यारा।
पुरखों जुटाई पुण्य धरोहर,
बण पाणि धुर-धारा।।
भलि संस्कृति क रखवाला।।
छै शास्त्र उपनिषद संहिता,
और पुराँणों की याँ रचना।
य भूमि में कदु वीर पनपना,
काथ-गाथ गैंण जाँ मुख-मुख छना।।
धन्य करणी जाँ शिवाला।

पंचकेदार पंचबदरी देवाल।
बण बण घुघुता और मोनाल।
ब्रह्मकमल कस्तूरी बुग्याल,
तपोभुमि पावन मानस ताल।।
सुन्दर जाँ पर्वतमाला।
हरकी पैडी गंग की धार,
करि दिणियाँ भवसागर पार।
ह्यौं भरिया डाना क्या सुन्दर,
सुन्दरता की छवि अपार।।
धन धन देव देवाला।।

सरयू काली रहप गोमती
पिण्डर अलकन्दा की नदी।
जाँ छलकन छन नौव गधेरा
छलकन उँ तप्त-कुण्ड कती।।
मसूरी छाजनि नैनीताला।।
देव-भूमि फूलों की घाटी,
बगैं सुगन्धित पौंन जत्ती।
बुग्यालौं का दृश्य मनोहर,
धन्य य मनमोहन प्रकृति।।
घण-घण बँण भाल-भाला।।
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मोहन जोशी, गरुड़, बागेश्वर। 17-02-2016

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