पुराणि फाम (Old memories)

कुमाऊँनी भाषा में लेख - पुराणि फाम,  Kumaoni memoir, remembering mother, Kumauni Sansmaran lekh

-:पुराणि फाम:-

लेखिका: अरुण प्रभा पंत

जब मै कक्षा तीन चार में हुन्हौल्यूं, क्वै लै फरालाक बर्ताक दुहार दिन इज हमन कं बासि फराल गरम करबेर दिनेर भै जो स्वाद, उं बासि लुऐक कढ़ै में बणयी आलुक गुटुक, गदु, घुइयां, छोलि रोट और सिंघाड़क पु, हलु में उंछि उ आब नि ऊंन।

हर बर्ताक दुहार दिन हमर यां मिलाई जुलाई टपकी शकि-खूश्याणि वाल और बिस्वारौक पयो और भात बण छी, सोच बेरै आय जांलै मुखन पाणि ऐजां।  बिना नान स्टिक तौयौक में बणी उ छोलि र्वाट अज्यान ठुल ठुल chefs लै नि बणै सकन।  हमर इज फरालौक सब पिस्यु घर में हमार एक गांधी आश्रमैक चक्की छी उसमें पिसनेर भै, कई दिन पैल्ली बै इजैक फरालैक तंग्यारी शुरू है जानेर भै।

शिवरात्रि बर्ताक दिन झौझैल राय हालि काकौड़ौक रैत लै बण छी।  हाय मैं बर्तैक खीर कैसी भुल गयूं!  तब हमार यां बज्यूण फ्रिज न्हैंछी, दुहार दिन उ ठंडी खीर जब हम खांछियां तो हमन कं कुल्फी आइसक्रीम जै लागछी।  अगर बर्ताक दिन क्वे ऐगयो तो इज उकं खवै बेरै भेजनेर भै भले ही फराल कम है जाऔ पर हमन हुं दुहार दिन हुं बासि फराल बंचै दिनेर भै इज ,पत्त ने कसी?

पछा मकं पत्त चलौ कि इज आपण नामात्रैक मुखबिटाल कर चरणामित्त चाख बेर हमनहुं बासि फरार जरुर बचै दिनेर भै।  इजौक यो व्योभार कं हम के नाम दि सकनूं, त्याग, पिरेम,ममता या आपण सांथ अन्याय।  मकं लागु सबै इज एसै हुनहुन्यालि।  तब न गैस छी न क्वे और सुविधा फिर लै सबन कं टैम पर सब मिल जांछी।

यो सब इजन कं मेरि श्रृद्धांजलि।
नमस्कार सुप्रभात।

मौलिक
अरुण प्रभा पंत 

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