
ना्न्छिनाक अकल-०२
लेखिका: चम्पा पान्डे
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ना्न्छिनाक अकल का शेष भाग
इज कैं डबि में तेलक तो अन्ताज हौय कि तेल कदू छी कनै, हमूल तो तेलक भौतै बर्बाद कर दी हो। आब के करुं, आब हम द्वि बटी तीन है गोय्, पत्त छौ हमूल के कर?
हमूल जतू तेल बर्बाद कर उतुकैं उमै पाणि मिलै दी नानछिना की अकल हेइ 😀। चलो सब ठिकठाक निपट गौय पै। आब इज लै ऐ गेयि घर, ब्याव (सांय काल) कनै जब इज साग चड़ा रेइ चुलम तो तेल तड़तड़ाट पाडू रौय् भौतै, आब इज परेशान, इजल सोचि की कढै गिल हनेलि तब तिड़ु रौ तेल। उधिन तो बच गोय हो महाराज।
पर दुसौर दिन फिर वी बात है गेइ। आब इज कैं गुस्स लै आं रौय! इज पन्याणम भै बे भा्न् मासै रइ और दगड़ै कौं रइ कि आजै फ्यार दुकानदारल तेलम पाणि मिलै बेर दी रौ शायद यूं दूकानदार लै अच्याल भो जालसाजी करण भै गेइ, मी जानू अल्लै वै पास कौनू उनूह.....
आब हमर सिट्टी पिट्टी गुम। पै के करछी हो! इज कैं सारी कहानी बताण पड़ि..| इजक तो खून खौल गौय हो 😡 इजक हाथ पर डाड़ छी उकणी लिबे दौड़ि हमौर पछिन, हम एकक पछिन एक-एकक पछिन एक दौड़ि हो। मी सबसे आघिल फिर दाद फिर दिदि, इजै कैं थकै दी हो भौतै।

इसी इज कैं और रीस चड़ गेइ। इजल तो जो हाथ पर डाड़ छी उ छटकै दी, डाड़ सिद्द दिदिक मुनौवम ला्ग और डाड़ूक द्वि टुकुड़ है गा्य। आब डाड़ तो टुटै टुट पर दिदिक मुनौवम बै खून्यौ हैगेइ, फिर कैक गुस्स, इज कैं लै खीसै जसि लागि गेइ। आखिर मैंक पराण हौय्.....
"आज तो बस इजक यादै याद रै गेइ 😔😔"
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धन्यवाद

*चम्पा *पान्डे*, 25-07-2020
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