जिम कार्बेट पार्काक् शेर......

कुमाऊँनी भाषा में शेर-शायरी, ज्ञान पंत जी द्वारा  Sher-Shayari in Kumaoni language by Gyan Pant, Kumaoni Shayari

जिम कार्बेट पार्काक् शेर......

रचनाकार:  ज्ञान पंत

पाँणि 
दिनै रयै 
नन्तरी 
बुशी जालै। 
पतंग 'कि डोर 
हमा्र हा्थ में भै 
हमैरि डोर 
मलि वा्ल समावौं 
अगाश में .....
उड़नेर 
द।द्वियै भै मगर
छुटी बेरि 
 भीं  मैयी उनेर भै
 सोचूँ ......
दिगौ !  " जमीन " 
कतु जरुरी छ । 
उड़ सकछै 
उड़ 
पटै बिसूँण हुँ
काँ जालै .....
यो सोच् । 
चाड़् प्वाथना्क 
घोल ......
मनखी 
निगरगंड।
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बखायि 
बाँज् पड़ि रै मगर 
दाड़िम में फूल 
लाग्नेरै भै ......
करयाड़ि में 
भरौस जास् तिमुल 
पाक्नेरै भै ..... 
कन्हा्व ले ठड़ी हैयी
नाशपाती' बोट ले 
ताकनेरै भै ....
गाड़ , गध्यार , रौड़ 
चौमासन्  में 
आजि ले अतरनेर भै 
माल्टा नारिंङ 'क बोटन् में 
झुकि पड़ी भये .... 
क्वे खाऔ नि मगर 
गुणि बानरनैकि 
चौल भये ...... 
बाँज् खेतन् में 
आजि ले उम्मींद भयी 
 पहाड़न्  में .......
हम भले नि जावौं 
मगर दूर - दराज बटी 
पिकनिक  मनूँण तैं 
मनखी उनेर भये .....
उ बात दुहैरि भै के 
वाँ  " घर " न सही 
रुँणै तैं . होटल भये ...... 
यतु सब हैयी बादै 
मैं कैं ले समझ ऐ 
कि, नान्तिन 
पहाड़ 'क नाम पर 
"होटल" 
किलै "सर्च" करन्हा्ल!

शब्दार्थ:
कनहा्व   --- किनारे 
किलै       -- क्यों, 
करन्हा्ल --- करते होंगे

June 13, 16, 2017
...... ज्ञान पंत
ज्ञान पंत जी द्वारा फ़ेसबुक ग्रुप कुमाऊँनी से साभार

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