आपुणा घर

कुमाऊँनी भाषा के उत्तर मध्यकाल के कवि पं. रामदत्त पंत की कुमाऊँनी कविता-आपुणा घर  Ramdatt Pant Kaviraj ki Purani Kumauni Kavita

आपुणा घर 

रचनाकार: रामदत्त पंत

पं. रामदत्त पंत कुमाऊँनी भाषा के उत्तर मध्यकाल के कवि माने जाते हैं 
जिनका जीवन काल (१९०२ से १९६८ ई) है  प्रस्तुत है 
रामदत्त पंत 'कविराज' जी की कुमाऊँनी भाषा की कविता, 
फेसबुक पेज  पहरु से

ठंडी पौन, ठंडो पाणी, उजेला अति भला
बाड़ा-भिड़ा, गाड़-छिड़ा, उजेला अति भला

नौला वी, आकाश मांथ, बादलन बिजुली नाच
सूर्य चंद्र तारा साथ, उजेला अति भला

चांदी लै छाई हिमाचल, तली जनरा छान हयूं का गल 
ऋषी मुनीरा का यों थल, उजेला अति भला

चरण जई, दूधैं धार, जंगलन वार-पार 
बुरूंश, शल्ल, बांज, द्यार, उजेला अति भला

सिड़ी जसी ऊपरूं सार, हरी भरी स्यारा पार 
गूल, घट, गाड़ वार, उजेला अति भला

घरण हुणी इनरी शरम बचूण हुणी याँ को धरम 
करूंला 'राम' आपुणा करम, उजेला अति भला

सुन्दर कैलीग्राफी और फोटो: ललित तुलेड़ा
फेसबुक ग्रुप, कुमाउंनी मासिक "पहरु" से साभार

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