त्येरी हैसनि मुखड़ी

कुमाऊँनी कविता-पुन्यों कसी जून त्येरी हैसंनी मुखडी। बुरुसी जस होंठ आंख जादू भरी। Kumauni Poem smiling beauty

*त्येरी हैसनि मुखड़ी*

रचनाकार: चन्दन रावत

पुन्यों कसी जून त्येरी हैसंनी मुखडी।
बुरुसी जस होंठ आंख जादू भरी। ••• त्येरि

पिरुव कसी बून हलकनी कमर ।
दुनि में त्येरि जसी नि आनि नजर ।
तू अणकसि दुनि में बाने कि थुपुड़ी। •••त्येरि

मोत्यो जै दांत पाटि मुल मुल हिसण ।
घमसम त्येर जोभन ठौंसल हिटण ।
आ पिरितिक बात करूला झित घड़ी। •••त्येरि

भगवानैल गड़ी रौ क्ये मनटकैल ।
फूल जस बरसनी त्यर हैसणल ।
तु एक छै लाखों में इन्दरैकै परी। •••त्येरि

जै घडि बै तकै देखौ भुकतीस हरैगे ।
दिनक चैन हरेगो राते कि नीन हरैगे ।
रुकि जा जरा कां भाजिछै बणै कै कुखुडी।•••त्येरि

चन्दन रावत जी की फेसबुक ग्रुप कुमाऊँनी शब्द सम्पदा पर पोस्ट से साभार
फोटो सोर्स गूगल

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