भाषाई धरोहर पर द्वी लाइन..

कुमाऊँनी भाषा की धरोहर पर कुमाऊँनी कविता-य बोलि भाष लै एक दिन इसिकै मरि जालि Kumauni Poem about Kumauni Language

भाषाई धरोहर पर द्वी लाइन..


पव्था य बोलि भाष लै एक दिन इसिकै मरि जालि
गोरु कैं तू काऊ और कुकूर कैं जो डौगी सिखालि

पहाड़ और गिनति हमार सब आब टेबुल है गाय्
यों अंग्रेज़ी क वन ,टू हमार एक , द्वी लै खै गाय्

घाघर झगुल धोति सब जीन्स कुरतांल नेई हालि
यों वैलन्टाइन फादर्सडे ल बसंत फुलदेई खै हालि

हिन्दी, पहाड़ी लागूं रै अनपढ़ू कि जसि बोलि
जै दिन बै गौनूगौनू टाई पैन्टी अंग्रेज़ी स्कूल खोलि

मिडिलप्राइमरी पर जगांजगां ताइ कान् डालिहालि
मास्टरुंल पढ़ै लिखै कम हौव दन्याव सकर डालि

©दिनेश कांडपाल, 28-07-2018

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