
वरिष्ठ रचनाकार/साहित्यकार श्री घनानंद पांडेय 'मेघ' ज्यू
कुमाउनी इंटरव्यू ©हमार कुमाउनी रचनाकार【16】
प्रस्तुति: राजेन्द्र ढैलामित्रो, मैंन जसकि एक सीरीज शुरू कर राखै। जमें एक संक्षिप्त परिचय करूंण लाग रयूँ आपूं सब लोगन् कें, हमार कुमाउनी रचनाकारों'क। जो आपणि लेखनील कुमाउनी बोलि-भाषा, साहित्य और संस्कृती'कि सेवा में जुटि रयी।
★यै क्रम में, आज मैं संक्षिप्त परिचय ल्हीबेर ऐरयूँ हमार वरिष्ठ कुमाउनी रचनाकार श्री घनानंद पांडेय 'मेघ' ज्यूक। जनर जन्म इजा सरस्वती देवी व बौज्यू श्री मित्रदेव पांडेय ज्यू घर 02 नवंबर सन 1952 हूं ग्राम-नैनी (उड़ाई) देवलथल (पिथौरगढ) में हौ। इनरी प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा देवलथल में,इंटरैकि कनालीछीना और स्नातक की पढाई लखनऊ बटी संम्पन्न भै। इनून नौकरी सन 1973 बटी उ०प्र० सचिवालय लखनऊ में निजी सचिव पद पर करै। 39 सालैकि सेवा दिबेर 30 नवंबर सन 2012 में सेवा निवृत भयी। इनार तीन नान्तीनी नीता, शोभा और बीनू छन। इनरी धर्मपत्नी नाम श्रीमती पुष्पा पांडेय छ। यौ आब लखनऊ का निवासी हैगयी। इनर वर्तमान पत्त मित्र निवास, 82/58 पंतनगर कालोनी लखनऊ में छ। प्रस्तुत छन इनन् दगै हैई बातचीताक कुछ अंश...
सवाल01◆ रचना धर्मिता कब बटी और कसिक शुरू भै कुमाउनी लिखणैकि प्रेरणा कां बटी मिलै?
जवाब● मैं बचपन बटिकै लिखछी। कुमाउनी लिखणैकि प्रेरणा लखनऊ में स्व.बंशीधर पाठक 'जिज्ञासु' ज्यू बै मिलै। जनून आकाशवाणी लखनऊ बटी उत्तरायण कार्यक्रम में म्यार गीत'नक प्रसारण लै करौ। 1987 बै।
सवाल02◆ आपुण खास शौक के-के छन?
जवाब● शौक त भौत छन। कुछेक जसिक..भजन गायन, कुमाउनी गायन, अभिनय, काव्य पाठ हिंदी-कुमाउनी द्वियै और गद्य लेखन।
सवाल03◆ उ तीन मनखीनों नाम बताओ जनरी जीवनी और कार्य आपूं कें हमेशा प्रेरणा दिनी?
जवाब● प्रेरणा दिनी भौतै छन। इज-बाबू हैं अलावा सुभाष चन्द्र बोस, लालबहादुर शास्त्री, एपीजे अब्दुल कलाम, माननीय नरेंद्र मोदी, अमिताभ बच्चन, लता मंगेशकर और मीना कुमारी आदि।
सवाल04◆ आपुण लोकप्रिय मनखी को छन? क्वे एक' नाम बताओ।
जवाब● म्यार सबसे प्रिय मनखी श्री नरेन्द्र मोदी ज्यू छन।
सवाल05◆ आपूंल कुमाउनी और हिंदी'कि को-को विधाओं में आपणि कलम चलै राखै? आपणि लिखणेकि मनपसंद विधा के छ?
जवाब● मुख्य रूपल गीत विधा में कलम चलूँ। यहैं अलावा गजल, छंद दोहा, कहाणि और उपन्यास। मेरि लिखणेकि मनपसंद विधा गीत छ।
सवाल06◆ आपुण हिंदी और कुमाउनी में प्रकाशित किताबों नाम कि -कि छ?
जवाब● मेरि जादेतर प्रकाशित किताब हिंदी में छन जसी-'कल्पनाओं का सावन' (गीत संग्रह), 'दर्द लेखनी का' (गीत संग्रह), 'भारती की आरती' (मुक्तक संग्रह), 'चाँद सितारे आँगन के' (बाल गीत संग्रह), 'माटी का कर्ज' (कहानी संग्रह), 'विनय करूँ अंबे' (वीणा वंदनाएं), 'वंशावली' (खंडकाव्य), 'पावन माटी का लाल' (स्वतंत्रता सेनानी)।
'नरै' कुमाउनी गीत संग्रह 2008
प्रकाशनार्थ छन-हिंदी गीत संग्रह, कुमाउनी गीत संग्रह और एक उपन्यास।
सवाल07◆ आपुण जिंदगी'क एक यादगार किस्स बताओ जो सबन दगड़ी साझा करण चाँछा?
जवाब● यौ करीब 1963 की बात छ जब मैं कक्षा-5 में पढंछी। एक रात भैंकर आंधी तूफान आछ। रुख,डाव् टुटि गाय्। गाड़-गध्यार, नदी-ना्ल भरी ग्यै। दुसार दिन मौसम साफ हैगोछी। मैं रोजै की चार टैम हैं पैलियै स्कूल पुजी गयूं। मैं प्रार्थना में अघिल बै ठा्ड़ हुंछी रोज। म्यार दगाड़ द्वी छात्र और लै ठा्ड़ हुंछी। यौ प्राइमरी पाठशाला देवलथल की बात छ। उती एक पीपलक् ठुल्लो पेड़ भै। आब् बुड़ी गो। वीक चारों तरफ चबूतर लै छ। वीकै बगल में एक खड़िक गैर खाण छ। रात में द्वी बुड़-बाड़ि कांई बटी ऐ हुन्याल। अन्यार हुणा वील खड़िक गड्ड में डुबि ग्यै। पूरै कमेट में लतपती ग्यै। रात में कसिकै संभलिबेर पिपला पेड़ा'क चबूतर में ऐ हुन्याल जाँ ठंडा वील उ भौतै लकड़ी ग्यै। रत्तै छात्रों का दगाड़ मैं ले पुज्यूं उत्तीकै। मैंन उननहूं पूछौ बुबू तम को छा काँ बै आछा यां? उनून रातैकि पुर घटना बतै। मैं फटाफट नजीका होटल बटी कितली में चहा, तीन चार गिलास और क्रीम बिस्कुट उधार लायूं और उननकें पिला। उनन् थ्वाड़ ठंड कम भौ। तब तक घाम लै ऐगोछी। उनून मैंकें भौतै आशीर्वाद देछ। च्यला तू भौतै ठुल आदिम बणिं जाए। हमेशा फस्ट आए। सांचि में मैंन कक्षा-5 में, 16 स्कूलों में पैल स्थान पा। कूंणौ मतलब यौ छ कि बुजुर्ग लोगनकि सेवा करण चैं उनर आशिर्वाद भौतै फलीभूत हुंछ। (आशिर्वाद मेरि कहाणि बटी-सच्ची घटना पर)।
सवाल08◆ लेखन कार्य करते हुए आपूं कें आज तक के-के सम्मान और पुरस्कार मिलि रयी?
जवाब● मैंकें सम्मान और पुरस्कार त भौत मिलि रयी जनन में कुछेक यौ प्रकार'ल छन।
*साहित्य गौरव, *काव्य महारथी,
*जयशंकर प्रसाद सम्मान 51000/रूपैं, कबीर पुरस्कार 20000/रूपैं,
*नजीर अकबराबादी हिंदी संसथान द्वारा 8000/रूपैं,
*सुमित्रानंदन पंत सम्मान, *शिवानी सम्मान,
*गीत शिरोमणि, *गढवाली लोकभाषा संस्थान 'मोनाल सम्मान',
*बाल प्रहरी 'साहित्य सम्मान', *लेखक मित्र मानद उपाधि-देहरादून,
●कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनताल द्वारा व्यक्तित्व और कृतित्व पर द्वी बार-लघु शोध,
*पहरू द्वारा कुमाउनी भाषा साहित्य सेवी सम्मान,
*विक्रम शिला विद्यापीठ भागलपुर द्वारा-विद्यावाचस्पति और विद्यासागर मानद उपाधि से सम्मानित। आदिआदि।
सवाल09◆ आपूंल पहाड़ में कतू समय बिता क्वे पहाड़ै याद जो मन कें प्रफुल्लित करैं?
जवाब● बचपन बटी 1970 तक पहाड़ में रयूँ। फिर लखनौ ऐगयूं। पहाड़ैकि याद-बचपन में गोरू,बाछ चरूणा'क लिजी जंगल ग्वाव जांछी। वाँ जाबेर गीत गैंछियूँ पंचम स्वर में। कभै काफल,कभै हिसालू खांछियूँ। एक कागज'क जहाज बणैबेर उड़ूंछियां। दूर तलक उडन तक चै रूंछियां। सातूं-आठूं,हिलजात्रा, पंद्रह अगस्त, छब्बीस जनवरी में प्रभात फेरी मडुवा'क रूवाट में नूण,घीं, चावल'क सेल खांछियाँ।
सवाल10◆ आपण जिंदगी'क सबन हैं खुशीक एक मौक बताओ?
जवाब● जब मेरि पैल किताब "कल्पनाओं का सागर" छपै।
सवाल11◆ आपुण हिंदी और कुमाउनी'क प्रिय लेखक को-को छन एक-एक नाम बताओ?
जवाब● हिंदी में- सुमित्रानंदन पंत
और कुमाउनी में- गिर्दा।
सवाल12◆ पहाड़ी खाणु में आपण मन पसन्द खाणु के छ?
जवाब● चावल'क सेल और मडुवा'रूवाट दगै घ्यूं-गूड़।
सवाल13◆ नवोदित लेखक व रचनाकारों हूं कि कूंण चाला?
जवाब● नवोदित रचनाकारों थैं यैई कूंण चां कि भल रचनाकार बणन हैं पैली भल मैंस बणन् पड़ल। कोशिश योई रूंण चैं कि कविता छंद बद्ध हो। रचनाकार कें सम्माना लिजी न लिखीबेर समाजा लिजी लिखण चैं। पढन लैक ल्यखण। भल हूं हम ल्यखन लैक बणूं।
सवाल14◆ आपण जिंदगी'क मूल मंत्र कि छ?
जवाब● ईमानदारी और मानवता।
सवाल15◆ आपूं कें टीवी में देखण के भल लागों?
जवाब● टीवी में पुराण गीत देखण और सुणन भल लागौं।
सवाल16◆ लोकभाषा बचूण किलै जरूड़ी छन?
जवाब● लोकभाषा बचूण यैक लिजी जरूड़ी छ कि हर समाजा लिजी वीकि लोकभाषा और लोक संस्कृति जरूड़ी छ। बिना लोकभाषा'कै क्वे लै समाज जीवित न रै सकन। ज्यून रूणाक लिजी भोजन जरूड़ी छ और समाजा'ज्यून रूणा लिजी लोकभाषा व लोकसंस्कृति जरूड़ी छ।
♂हां एक बात और लै छ....बोलि कें भाषा अनुसूची में शामिल करी बाद उ लोकभाषा बोलिकि खुशबू खतम हैजैं। यैल हिंदी'कि खुशबू में लै के बढोत्तरी न हो। किलैकि हम हिंदी छोड़ि आपणि लोकभाषा में ऐ जूं'ल।
♂कुमाउनी, गढवाली कें प्राइमरी बटी कोर्स में पढूंन चैं।
सवाल17◆ आपूं जबकि आब रिटायर हैगहा त आपुणि दिनचर्या कसी बितैं के-के करछा आपूं और आपूं आजकल के रचनौछा?
जवाब● सेवा निवृत्ति बाद निश्चिंतता हैगै। अरामलै खाण् खां। पैली भागम भाग हैंछी। आ्ब लेखन कार्य और गोष्ठी लै बढि गई। घरैकि साफ सफाई आपुण हात में ल्हीहै। घरवालिक लै हात बटूंण चैं मैसनल।
आजकल एक उपन्यास लिखण लाग रयूँ। एक हिंदी और एक कुमाउनी गीत संग्रह छपूंन छ।
सवाल18◆ आपुण उत्तराखंडी समाज हूँ के संदेश छ?
जवाब● उत्तराखंडा समाजा लिजी कि संदेश दी सकूं। योई कूंण चां कि वांकि बोलि-भाषा, संस्कृति विकासा लिजी लोग लगातार प्रयास करण लाग रयी धन्यवाद। आपुण नान्तिनन् कुमाउनी जरूड़ सिखाया। पहाड़ कें ज्यून धरणा लिजी वांकि बोलि भाषा कें ज्यून धरण जरूड़ी छ। "म्यर कूंण भलै नि लागनै किलैकि मैं भ्यैर ऐ गयूं और वां लिजी शिक्षा दिण ठीक नि भै। लेकिन पहाड़ै लिजी हमरि भावना आजिलै ज्यूनै छन"। जो लोग वाईं रैबर पहाड़ कें बचूण लागि रयी। वांकी बोलि-भाषा, संस्कृति और तीज-त्यार'न जिंद राखण लागि रयी उननकें शत-शत नमन।
धन्यवाद महोदय, बहुत कुछ सिखण हूँ मिलौ आपूं दगै बात करिबेर। आभार, शुभकामनाएं आपूं कें सादर।
★प्रस्तुति राजेंद्र ढैला, काठगोदाम।
आपसे अनुरोध है कि कलाकार के रूप में ढैला जी की प्रतिभा को जानने के लिए
यू-ट्युब चैनल "GHUGUTI JAGAR RD" को सब्सक्राईब करें
0 टिप्पणियाँ