गूड ले मीठा ना हुनो

कुमाऊँनी कविता-तुमरो लैयेको रमवा बाज्यू  गूड़  ले मीठा ना हुनो। Kumaoni Poem-God le meetha naa huno

गूड ले मीठा ना हुनो
रचनाकार: राजू पाण्डेय

तुमरो लैयेको रमवा बाज्यू गूड ले मीठा ना हुनो। 😊😊

दूद उमाल्यो उमाल गयो 
टिपन्या पड़्या जली रुमाल गयो 
कैले काम तुमरा पूत 
भली कै ना हुनो 
तुमरो लैयेको रमवा बाज्यू 
गूड़ ले मीठा ना हुनो।

धूलो ओल्यो गिलो बना दिछा
रोटो हाल कयो डजा दिछा 
तुमरा पूत द्यु बक्तो 
खानो ले बना ना हुनो 
तुमरो लैयेको रमवा बाज्यू 
गूड़ ले मीठा ना हुनो।

झाड़ी ओडा कोड़ा झाड़े झाड़ 
लिपि दी कयो कचारे कचार 
तुमरा पूत द्यु कमरा को 
झाड़ू पोछो ले ना हुनो 
तुमरो लैयेको रमवा बाज्यू 
गूड़ ले मीठा ना हुनो।

सालगिराहे गिफ्ट में साड़ी लैया 
तुमि पैरया मेरी तरफो खाली लैया
तुमुके शॉपिंग करना बक्त 
मेरी पसंदो रंग ले पतो ना हुनो 
तुमरो लैयेको रमवा बाज्यू 
गूड़ ले मीठा ना हुनो।

मि फूल जसी उसी के बीमार 
भया पालना मिलै नानतिन चार 
तुमरा पूत सिन बक्त 
मेरो खुटो ले दबा ना हुनो 
तुमरो लैयेको रमवा बाज्यू 
गूड़ ले मीठा ना हुनो।

ऑफिस में बैठी लैपटॉप चलुंछा 
घर में आ बैर ले रौब देखुंछा 
तुमरा पूत रात्ते उठी “राजू" 
बना द्यूं बेड टी ले ना हुनो 
तुमरो लैयेको रमवा बाज्यू 
गूड़ ले मीठा ना हुनो।


~राजू पाण्डेय, 19-11-2019
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