शेरदा क याद

कुमाऊँनी भाषा के कवि शेरदा अनपढ़ जी की यादें और उनका कुमाऊँनी भाषा में योगदान Kumaoni language memories of Poet Sherda Anpadh

★शेरदा'क याद◆
प्रस्तुति~राजेंद्र ढैला

नानछिना घर में टेलीविजन नि छी त मनोरंजन'क एक मात्र साधन रेडियो भै। रेडियो में सबसे साफ और बिना सिसाट करियै जो स्टेशन पकड़ छी उ भै आकाशवाणी केंद्र अल्माड़। हमरी बोली-भाषा, संस्कृतीक कार्यक्रम भौत ऊंछी अल्माड़ बटी। यैई कार्यक्रमों में कुमाउनी कविता'नक लै कार्यक्रम ऊंछी। जमें कुमाउनी'क उबखताक बिभिन्न कवि भाग ल्हिछी। बस वी कवियों में छी एक हास्य ब्यंगा'क कवि शेरदा अनपढ़। उभत करै और के गंभीर कविता त समझ सकछियां न हालांकि गंभीर कविता आजी लै समझ न ऊनि। लेकिन शेरदा'कि हंसाई वालि कविता भौत भलि लागनेर भै। 

भौत बाद में जब मैं 10 में पढछी। शैद लगभग सन 2000 कि बात हुनेलि जब ठुल दा्द घर में एक चार स्याल वाल टेपरिकार्डर (टेप कम रेडियो) ला दगाड़ में 8-10 कुमाउनी कैसिट। वी कैसिटन में एक कैसिट शेरदा अनपढ़कि लै छी 'हँसणै बहार" उबखत करै यतु मन लागनेर भै उ हँसिक कैसिट सुणन में कि मैंन उ कैसिट में जतुलै कविता छी सब याद करि हाल। आजि लै कुछेक कविताओं'क कुछ-कुछ लाईन याद छन-- जसी-मत मारो मोहना पिचकारी पैलियै मरी छूं महंगाई मारी,उईजा कंटोलै धोति छी चीरी गै सारी। फैशन, बखता तेरि बलै ल्हियूल। कसिक काटूं ह्यूंन हिगांव। शेरदा स्यैणिक देखो नौ मुरी नखार। आ्म कूनै सुण नाती यस बखत आल आदिआदि।

वैं बटी मन भौ म्यर लै कुमाउनी रचनाओं तरफ। थ्वाड़-थ्वाड़ कोशिश करी करछी जोड़-जंतर करणैकि। आई लै कोशिश जारी छ जोड़-जंतर वालि। मैंन शेरदा कें कभै आमणी-सामणी न देख सक यौ बातौ मलाल छ। मैं मंचन में तब आयूं जब शेरदा'ल दुणियक रंगमंच छोड़ि हाछी। आज लै लागौं कदिनै भेट हैरूनी शेरदा दगड़ि, धैं के-के जै बात हुंछी कै। खैर! 

आज शेरदा बहाणल नानछिना याद ताजि हैगै। उ रेडियो, उ टेप रिकॉर्डर, उ पहाड़, उ नानछिना दगड़ू जनन् कें मैं शेरदा'कि कविता सुणाई करछी। शेरदा'कि कविता सुणिबेर म्यर मन लै कुमाउनी में लिखणक् भौ। यै लिजी शेरदा म्यार प्रेरणास्रोत लै भै। अच्छा हम पैली शेरदा कें केवल हास्य कवि समझनेर भयां। उत बाद में विद्वान लोगोंन बताछ कि शेरदा त भौत ठुल दार्शनिक कवि छी जो हँसन - हँसूंनै भौत गंभीर बात कै जांछी कै।

आज 20 मई हूं उनरी पुण्यतिथि छ यै मौक पर मैं कुमाउनी'क उ कलमक् सिपाही कें नमन करूं वंदन करूं। जनूल कुमाउनी बोलि भाषाक् प्रति हम लोगना भितेर प्रेम जाग्रत करौ।
विनम्र श्रद्धांजलि
दगाड़ श्रद्धा सुमन।

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