
-:पैल्ली और आब:-
रचनाकार: अरुण प्रभा पंत
कां मैं दड़बौड़, गडमड चहा पिणी
काव चहा और हल्क चहा पिण लाग्यूं
ठुल थाय और भकार जौ ब्याल में खाणी
आब डिनर प्लेट में खटखट कर खानु
ब्याल भर खट्टै खाणी खट्टै टपुक लगूं
भाताक डेल सपकूणी, चम्मचैल दाव
गिण बेर र्वाटऔर नपी-तुली साग
फिक चहा अलुण जौ खाण खाणयूं
आंखन में चसम, कमर हाथ लगै उठनू
राशनैक न्यांथ दवाय पुड़ि ल्यूण भाय
चक्कूल काटि या रस गाड़ि फल खानु
कुर्सी में बैठ मेजमें खानू डाबबै गाड़ि
देखण में खाण छाजि रुं हमर भौत्तै
न्हां रौनकी मुखन और न्हांआंग छाल
जेबन कार्ड बैंक में डबल छनै छन
कैं के कमी तो छू पर पत्त न्हां कां
मौलिक
अरुण प्रभा पंत
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