नी रैनु मैं सासू यौं त्यर पहाड़ मा

कुमाऊँनी भाषा में कविता-नी रैनु मैं सासू यौं त्यर पहाड़ मा, Kumaoni language Poem, Kumaoni Bhasha mein Kavita

नी रैनु मैं सासू यौं त्यर पहाड़ मा

रचनाकार: दीपाली सुयाल

नी रैनु मैं सासू यौं त्यर पहाड़ मा 
मैकें नी हुनी चढ़ाई हो यौं ऊंचा ऊंचा डान मा
पटै जै कमर मेरी यौं त्यर पहाड़ मा 
नी रैनु मैं सासू यौं त्यर पहाड़ मा।।

लागीरो यां कामा यौं बरोमासा
कधिन बटोरीनी अशोज़
कधिन बुडी जानी हो यौं सिशुणेक काना
नी रैनु मैं सासू यौं त्यर पहाड़ मा।।

नी आनी या नेटवर्क म्यर फोन मा
म्यर बयोलज्यू छी भूयार प्रदेश मा
मैकें ऐं याद उनेर दिन रात मा
मैं रुल उनर दगड़ शहरेक आड़ मा
नी रैनु मैं सासू यौं त्यर पहाड़ मा।।

नी फुकनी यी लाकड़ मैहुणि चूल मा
नी हूं मैकों काम यौं त्यर पहाड़े मा
नी खानू हो सासू त्यर यौं मडूवेक रौटा
मैं खूल पिज़्ज़ा बर्गर शहरेक आड़ मा
नी रैनु मैं सासू यौं त्यर पहाड़ मा।।
कुमाऊँनी भाषा में कविता-नी रैनु मैं सासू यौं त्यर पहाड़ मा, Kumaoni language Poem, Kumaoni Bhasha mein Kavita




हरेला पर्व की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं 
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दीपाली सुयाल-Dsuyal, 02-09-2019
उत्तराखंड रामनगर

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