
शकुनाखर
(कन्दाना बखत वर पक्ष-ब्योलि पक्षक् परिचय गीत)
तारा पाठक (आमा कोचिंग सैंटर)
अंबन खंबन दीयो जलाओ मेर बाबुल,
वोतो झकमक जोत जलाओ जी।
अंबन खंबन दीयो जलाओ मेरे बाबुल,
वोतो चार ही तखत उजालो ज,
काहा बन के खंभ मंगाए, काहा बन के बांसा जी।
कदली बन के खंभ मंगाए, वृन्दाबन के बांसा जी।
कहाँ के तुम विदेशिया लोगो, कहाँ चलै है बेऊंणा जी।
अजुध्या के हम विदेशिया लोग, जनकपुर चलै हैं बेऊंणा जी।
(वर क् शहर या गौं नाम) के हम विदेशिया लोग,
(ब्योली शहर या गौं नाम) चलै हैं बेऊंणा जी।
कवन पंडित को लाडि़लो दूलहा,
कवन सजन की धीया जी।
पंडित दशरथ को लाडि़लो दूलहा,
सजन जनक की धीया जी।
पंडित (वरा क् बाबू नाम) को लाडि़लो दूलहा,
सजन(बयोली बाबू नाम )की धीया जी।
अंबन खंबन दीयो जलाओ मेरे बाबुल।
(पैंली बटी कन्दान गोठ में हुंछी जै नाम गोठौ ब्या भय, फ्यार भैर पटांगण में हुंछी जैधैं भैरौ ब्या कूंछी। यो गीतक् भाव छ -ब्योलि आपण बाबू धैं कैं- आमा खंबों में दि जगावौ ,खूब झकमक उच्याव करौ। जब कन्दान में द्वियै पक्ष (वर पक्ष-ब्योलि पक्ष) आमणि सामणि हुंनी तब उनर प्रश्नोत्तरी में सुंदर परिचय दि राखौ, तुम विदेशी कांक छा और कां ब्या करण हुं ऐरौछा? वर पक्ष वाल कूंनी -हम अयोध्या रूंणी वाल छां,जनकपुर में ब्या करण हुं ऐर्यां। यो वर कनर च्यल छ? और ब्योलि कै चेलि छ?जवाब में कूंनी -वर राजा दशरथ ज्यू च्यल छ, ब्योलि जनक ज्यू चेलि छ।)
फोटो सोर्स गूगल

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