Jindagi k haal(1): जिंदगी क हाल

कुमाऊँनी कविता-जिन्दगी उकाव, जिन्दगी होराव, कभैं अन्यार औंछ यैमें, कभैं छ उज्याव। Kumauni Poem describing about life how it goes


Jindagi k haal(1): जिंदगी क हाल
खरी खरी - 445 : जिंदगी क हाल (1)
रचनाकार : पूरन चन्द्र काण्डपाल

जिन्दगी उकाव
जिन्दगी होराव,
कभैं अन्यार औंछ यैमें
कभैं छ उज्याव।

सुख दुखा बादल यैमें
आते जाते रौनी,
सिद बाट कम यैमें
टयाण ज्यादै औंनी।
कभैं यां तुस्यार जौ लागूं
कभैं तात मुछ्याव।
जिन्दगी...

कैं खुशी का नौव यैमें
कैं दुख कि गाड़,
कैं छ गुलाब- हांजरी
कैं कना कि बाड़ ।
कैं सुखी गध्यार यैमें
कैं पाणी का पन्याव।
जिन्दगी...

पूरन चन्द्र काण्डपाल, 22.06.2019

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