धनिया (Coriander)

कुमाऊँ में धनिया की खेती पत्तों व बीजों को मसालों के रूप में प्रयोग के लिए की जाती है Coriander leaves and seeds are used to spice up the dishes

धनिया (Coriander)
लेखक: शम्भू नौटियाल

धनिया वानस्पतिक नाम कोरिएण्ड्रम सैटाइवम (Coriandrum sativum Linn., Syn-Coriandrum majus Gouan) है, और यह वानस्पतिक कुल अम्बेलीफेरी या एपिएसी (Apiaceae) से संबंधित है। संस्कृत में इसे धान्यक, धाना, कुस्तुम्बुरु, वितुन्नक, छत्रा, धान्यक, धानी, छत्रधन्य, धनिक, धनेयक, धेन्निका, जनप्रिय, शाकयोग्य, सुगन्धि, सूक्ष्मपत्र, वेधक, वेषण, बीजधान्य तथा अग्रेंजी में चाइनीज पार्सले (Chinese parsley), कोरिएन्डर (Coriander) कहते हैं। भारत को ‘मसालो की भूमि’ कहा जाता है। मसाले हमारे भोजन को स्वादिष्ट एवं सुगन्धित बनाते हैं। इन्ही मसालों में धनिया भी एक है। जिसके पत्ते और बीज दोनों को हम मसाला के रूप में इस्तेमाल करते है।

इसके पत्ते का इस्तेमाल ताजा मसाला के रूप में तथा बीज का इस्तेमाल सुखा मसाला के रूप में करते है। इसकी मुलायम पत्तियाँ को चटनी बनाने में तथा हरी पत्तियों को सब्जी एवं अन्य व्यजंनों को सुगन्धित करने के लिए भी प्रयोग किया जाता है। धनिया को पत्ती के रूप में उपयोग करने के लिए इसको सालभर भी उगाया जा सकता है। लेकिन बीज के लिए पर्वतीय क्षेत्राें में इसकी बुवाई मार्च में करते हैं। इसकी खेती देश भर में की जाती है।

धनिया एक मसाला होने के साथ-साथ एक औधषि भी है। सम्पूर्ण भारत में हर घर में धनिए के सूखे फलों का प्रयोग मसाले के तौर पर किया जाता है। धनिया का इस्तेमाल कर भोजन से अरुचि, पाचनतंत्र रोग, मूत्र विकार के साथ-साथ, वात-पित्त-कफज विकार में भी लाभ लिया जा सकता है। गीला धनिया विशेषतः पित्तशामक होता है। धनिया के औषधीय प्रयोग महत्वपूर्ण हैं।

*धनिया का नियमित इस्तेमाल त्वचा के लिए फायदेमंद माना गया है। इसके साथ ही धनिया खून में मौजूद इन्सुलिन की मात्रा को नियंत्रित कर हमे diabetes से दूर रखता है। धनिया, जीरा और Sweet flag की बनी काढ़ा सर्दी और खांसी का रामबाण इलाज है।

*रात भर पानी से भिगोए हुए धनिया के बीजों को, छिलका रहित होने तक अच्छी तरह धो लें। इन बीजों को सुखाकर, भून लें। इसमें हल्की मात्रा में मिर्च, हल्दी, सेंधा नमक, तथा नींबू के रस को मिलाकर इसे थोड़ी मात्रा में लेकर चबाने से भूख बढ़ती है।

*धनिया से बने काढ़ा का सेवन करने से आंतों के रोग में लाभ मिलता है। धनिया के सूखे फलों से बने काढ़ा का सेवन करने से पित्तज-विकार, कंठ की जलन, उल्टी में लाभ मिलता है।
*अधिक प्यास लगती है, तो धनिया के पानी में शहद, और मिश्री मिलाकर पीने से पित्त के कारण लगने वाली प्यास मिटती है।
*धनिया से बने काढ़ा में दूध, एवं चीनी मिलाकर इसे पीने से पाचनतंत्र के विकार में फायदा होता है।
*धनिया, लौंग, सोंठ, तथा निशोथ को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर। इसे गर्म पानी के साथ 2-2 ग्राम, सुबह-शाम सेवन करने से पाचन-शक्ति ठीक रहती है।
*बराबर-बराबर मात्रा में धनिया, और सोंठ का काढ़ा बना लें। इसे 20-30 मिली मात्रा में सुबह-शाम पीने से पाचन-शक्ति बढ़ जाती है।
*पेट में गैस होने पर 10-15 मिली धनिया तेल का सेवन करने से आराम मिलता है।

*धनिया, और सोंठ का काढ़ा पीने से पेट दर्द, और अपच ठीक होती है।
*पेट दर्द में 2 ग्राम धनिया चूर्ण को, 5 ग्राम मिश्री के साथ मिला लें। इसे दिन में दो-तीन बार देने से गर्मी से होने वाले पेट दर्द में लाभ होता है।
*5 ग्राम धनिया को 100 मिली पानी में रात में भिगो लें। इसे सुबह मसलकर, छानकर रखें। इस पानी को बच्चों को पिलाने से पेट दर्द में लाभ होता है।
*कब्ज में फायदे के लिए, 20 ग्राम धनिया, तथा 120 मिली पानी को मिट्टी के बरतन में डालकर, रात भर रहने दें। सुबह इसे छानकर, 13 ग्राम खांड डालकल इसे थोड़ा-थोड़ा पीने से कब्ज में लाभ मिलता है।
*आंखों में जलन होने पर धनिया के पत्तों की चटनी बनाकर खाने से आराम मिलता है।

*त्वचा रोग, जैसे- शरीर में पित्ती उछलने पर, धनिया के पत्तों के रस को शहद के साथ मिलाकर लगाना चाहिए।
*हरड़, गिलोय, तथा धनिया को समान मात्रा में लेकर चार गुने पानी में उबालें। जब यह एक चौथाई बच जाए, तो गुड़ डालकर सेवन करने से बवासीर में लाभ होता है।
*जोड़ों के दर्द से परेशान हैं, तो 6 ग्राम धनिया के चूर्ण में, 10 ग्राम शक्कर मिलाकर सुबह-शाम खाएं। इससे जोड़ों के दर्द में फायदा होता है।
*पित्त विकार के कारण होने वाले बुखार में 10 ग्राम धनिया, और 10 ग्राम चावल को रात भर भिगो दें। इस काढ़ा को 30 मिली मात्रा में सुबह-शाम पिलाने से बुखार में लाभ होता है।
*धनिया को अनार आदि अम्ल द्रव्य, और नमक के साथ पीसकर। इसे थोड़ी-थोड़ी देर पर खाने से उल्टी रुक जाती है।
*पेट की गैस की समस्या में धनिया डालकर पकाए हुए पानी का सेवन करना हितकर होता है।

*नोट: धनिया से नुकसान:
धनिया के पत्ते, और बीजों को अधिक मात्रा में सेवन करने से ये परेशानी हो सकती हैं। यह यौन शक्ति को कमजोर कम कर सकता है व दमे के रोगी को नुकसान पहुंचा सकता है।

 
*हमारे पोर्टल पर विभिन्न जैव उत्पादों के औषधीय उपयोग के बारे में जो भी जानकारी दी गयी है, उस हेतु चिकित्सकीय परामर्श अवश्य लें

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