मेरी टोपि ध्वेदे-हमार कुमाऊँनी रचनाकार श्री बिशनदत्त जोशी 'शैलज'

कुमाऊँनी भाषा में साक्षात्कार-वरिष्ठ कवि-सहित्यकार श्री बिशनदत्त जोशी 'शैलज' ज्यू  Kumauni Language Interview with Kumauni Litterateur Bishandutt Joshi "Shailaj"

"मेरी टोपि ध्वेदे"
कुमाउनी इंटरव्यू©हमार कुमाउनी रचनाकार श्री बिशनदत्त जोशी 'शैलज'【18】
प्रस्तुति: राजेन्द्र ढैला

मित्रो, मैंन एक सीरीज जसि शुरू कर राखै जमें एक संक्षिप्त परिचय करूंण लाग रयूँ आपूं सब लोगन् कें, हमार कुमाउनी रचनाकारों'क जो आपणि लेखनील कुमाउनी बोलि-भाषा, साहित्य और संस्कृती'कि सेवा में जुटि रयी।

यै क्रम में, आज मैं आपूं लोगनाक् परिचय करूंण लाग रयूँ हमार वरिष्ठ साहित्यकार, कुमाउनी रामायणा'क लेखक और संगीत शास्त्रा'क विद्वान श्री बिशनदत्त जोशी 'शैलज' ज्यूक। इनर स्कूली नाम विश्वम्भरदत्त जोशी छ। जनर जन्म 2 फरवरी सन 1941 हूं ग्राम-बजीना, पोस्ट ऑफिस-ईड़ा-द्वारहाट, जनपद अल्माड़ में भौ। इनरि इजौ नाम शारदा देवी और बौज्यू नाम श्री चिन्तामणि जोशी छी। इनरी प्राथमिक शिक्षा जालली पाठशाला बटी और अन्य पत्राचार बटी- लेखक प्रशिक्षण महाविद्यालय बटी 'साहित्य अलंकार' सहारनपुर उ०प्र०। हिंदी साहित्य सम्मेलन (इलाहाबाद) बनारस बटी 'साहित्य रत्न' और 'आयुर्वेद रत्न'। 'संगीत प्रभाकर' प्रयाग संगीत समिति भातखंडे संगीत विद्यालय बटी ल्हे।
प्रस्तुत छन इनन दगै हैई बातचीताक थ्वाड़ अंश....

सवाल01◆ आपण कार्य क्षेत्र और घर परिवारा बा्र में बताओ धैं?
जवाब● मैंन के विशेष नौकरी न करी। खेति, जड़ी-बूटी, कृषि, पर्यावरण और समाज सुधार म्यार काम रयी। घर परिवार में घरवाई सरगवसी हैगे। चार चेली शान्ति, मंजू, शीला, नीमा और एक च्यल दिनेश छ। सब आपण घर परिवार दगै खुशि छन।

सवाल02◆ रचना धर्मिता कब बटी और कसिक शुरू भै कुमाउनी लिखणैकि प्रेरणा कां बटी मिलै?
जवाब● रचना धर्मिंता सन साठाक दसकाक बाद में शुरू करी। पैली खूब अध्ययन करौ। घर में रामायण, गीता आदि पुस्तक छनै छी। रघुवंश अध्यात्म रामायण लै छी। नारद पुराण बटी छंद शास्त्रक अध्ययना बाद रचना धर्मिंता शुरू भैछ, पत्राचार शिक्षा समय बटी। कुमाउनी लिखणेकि प्रेरणा पं. गुमानी पंत ज्यूकि रचना देखिबेर श्री राम चरित कें कुमाउनी दोहा चौपाई में छंदोबद्ध करणक् बिचार आ। यो प्रेरणा पंत ज्यूकि देन छ। पैल प्रेरक गुरु गुमानी पंत दुसार श्री तुलसीदास ज्यू कें माननू।

सवाल03◆ उ तीन मनखीनों नाम बताओ जनरी जीवनी और कार्य आपूं कें हमेशा प्रेरणा दिनी?
जवाब● श्री गुमानी पंत, श्री तुलसीदास और हीराबल्लभ पांडे 'जोतिषी' जनून बता यौ जीवन लिखण-पढण में रौल। कुछ यास काम करौल ज्यैल इकें राज्य सम्मान ले मिलल। यो प्रेरणा मैंकें साहित्यकि ओर लिगै।

सवाल04◆ आपुण खास शौक के-के छन?
जवाब● घुमण-घामण और पढ़न लेखण'क शौक छ। दगाड़ में थ्वाड़ समाज सेवा है जाओ तो औरै भल।

सवाल05◆ आपुण लोकप्रिय मनखी को छन? क्वे एक' नाम बताओ।
जवाब● डॉ.मोहन चंद्र तिवारी, संस्कृत रीडर रामजस कॉलेज। दिल्ली विश्वविद्यालय दिल्ली।

सवाल06◆ आपूंल कुमाउनी, हिंदी'कि दगाड़ै संस्कृत और संगीत में लै काम करि राखौ कि-कि करि राखौ जरा बताला?
जवाब● कुमाउनी में श्री तुलसीकृत कें छंदबद्ध रूपांतरण -सातों खंड प्रबोधिनी शब्दकोश अप्रकाशित।
श्रीकृष्ण बाललीला बटि 18 अध्याय गीताक कुमाउनी पद्यांतरण।
संस्कृत में "श्री सिद्धिदात्री माँ दूना गिरी" आदि छन।
यो खंड काव्य गढवाली, कुमाउनी -संस्कृत हिंदी टीका सहित छ। उत्तराखंड संस्कृति निदेशालय'ल प्रकाशित करै।
संगीत में● लुप्तोदय स्वर समग्र राग व्याकरण (विश्वकोश) प्रकाशित और संगीत भारती प्रकाशनाधीन छ।
संगीत पुस्तक एक और पाण्डुलिपि छ मय ओड़व ए में करीब एकतौ नई रचना उनार आरोह अवरोह छन।

सवाल07◆ आपुण हिंदी , कुमाउनी और संस्कृत में प्रकाशित किताबों नाम कि -कि छ?
जवाब● प्रकाशित ● कुमाउनी साहित्य में...
(१) संत तुलसीमानस का कुमाउनी दोहा, चौपाई आदि छंदों में 'कुमाउनी रामायण' [बालकाण्ड और सुंदर कांड] सन 1987-89 में प्रकाशित। शेष संपूर्ण सातों खंड शीघ्र प्रकाश्य (आधारशिला प्रकाशन हल्द्वानी से)।
(२) कुमाउनी होलि।
(३) 'श्री सिद्धदात्रि मां दूनागिरि' प्रथम खंड गढवाली-कुमाउनी में, उत्तराखंड संस्कृति विभाग द्वारा प्रकाशित।
(४) 'श्री गिरिजा विनय पत्रिका' कुमाउनी पद्यावली।
●संस्कृत साहित्य में...
(१) 'श्री सिद्धदात्रि मां दूनागिरि' भाग दो, संस्कृत-हिंदी टीका सहित।
(२) संस्कृत सामवेदानुसार प्रस्तार में, "लुप्तोदय स्वर समग्र राग व्याकरण" (विश्व कोष)।
(३) 'श्री हनुमान सप्ताष्टक' संस्कृत काव्य।
(४) 'श्री रामविजय स्रोतम' संस्कृत काव्य-2020।
●हिंदी साहित्य में...
(१) 'उर्मिला मंगलम्' अवधी में (दोहा-चौपाई) नाटिका जसि।
(२) 'नैथना चालिसा'।
(३) 'मानिला चालिसा'।
(४) 'गिरिजा विशंती'।
●संगीत विषय में...
(१) 'संगीत भारती' डमी बनिबेर तैयार-2020 में।
अप्रकाशित पांडुलिपियाँ...
(१) 'कुमाउनी शब्द प्रबोधिनी' अ एवं ककारी क्रम से। जानकारी के अनुसार जाति, गोत्र, प्रवर, शाखा एवं पर्वतीय वनस्पति ज्ञात और लुप्त प्रजाति सहित।
(२) 'श्रीकृष्ण बाल लीला' और अठार अध्याय गीताक पध्यानुवाद हिंदी टीका सहित। (कुमाउनी पद्यावली में)।
(३) उत्तर कांडक 'काकभुसुंडि श्री गरूड़ संवाद'क रूपम् छंद पद-चौपाई दोहा आदि नई छंदों मा कुमाउनी में।
(४) स्फुट फुटकर पद कुमाउनी मात्रा तथा वार्णिक वृत्त।
(५) संगीत- म प ओड़म जाति मा करीब 150 क्रम में करीब 125 पद तथा उनर राग नाम, आरोह अवरोह सहित।
(६) फुटकर संगीत कुमाउनी और हिंदी में
(७) संस्कृत - 'योग, वियोग, संयोगम्' विवेचनात्मक गृंथ संस्कृत छंद में।
(८) समावेदक पैल आग्रेय कांडक - मंत्रोंक भाष्य
वीक हिंदी पदावली। राग नाम आरोह अवरोह सहित।
(९) स्वर वर्ण चालिसा, प्रथम, द्वितीय और तृतीय खंंड में।

सवाल08◆ आपुण जिंदगी एक यादगार किस्स बताओ जो सबन दगड़ी साझा करण चाँछा?
जवाब● मैं कक्षा २ में पढछी गर्मी दिना बात छ इग्यार-साढि इग्यार बाजी छुट्टी बाद दगडियों दगै गाड़न नांण हूं गयां तो एकल मेरि गर्दन पकड़ी पाणि में डूबै दी। एक म्यार दगड़ी जनर नाम उर्बीदा छ। आज लै छन। उ अगर उकें धांक् मारी मैंकें भ्यैर न निकावना तो मैं आपणि मैं-बाबूं एकलि संतान आपुण बीच में यो बात न बतै सकनी। जीवनदाता भाई कें प्रणाम और यो बात कें पढनेर लोगन कें लै प्रणाम।

सवाल09◆ लेखन कार्य करते हुए आपूं कें आज तक के-के सम्मान और पुरस्कार मिलि रयी?
जवाब● (१) उत्तराखंड संस्कृति कला परिषद देहरादून बटी सारस्वत अवदानाक लिजी बिशन दत्त जोशी साहित्यकार उपनामल प्रदान करौ। 2006 में।
(२) संस्कृति एवं संगीत निदेशालय उत्तराखंड'ल आजीवन सम्मान राशि प्रदान करी।
(३) राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान'ल जनकपुरी नई दिल्ली मानित विश्वविद्यालय-मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकारै'कि आटोनोमस बॉडी छ उनैल 'संस्कृत पंडित राशि' प्रदान करी। आजीवन।
(४) कुमाउनी भाषा एवं संस्कृति प्रसार समिति अल्माड़ द्वारा 'साहित्य सेवी सम्मान'।
(५) बाल पत्रिका 'बाल प्रहरी' द्वारा साहित्य सेवा लिजी सम्मान।
(६) 'विद्यावाचस्पति' मानद उपाधि बिक्रम शिला विद्यापीठ भागलपुर उज्जयिनी।
(७) प्रसस्ति पत्र/नागरिक सम्मान प्रकृतलोक पत्रिका राणीखेत द्वारा।
(८) रा.बा.इं. राणीखेता प्रधानाचार्या श्रीमती नीलम नेगी जी द्वारा नकद पुरस्कार कुमाउनी भाषा संवर्धना लिजी।
(९) श्री मोहन उप्रेती लोकसंस्कृति एवं कला विज्ञान शोध समिति अल्माड़ द्वारा सम्मानित।

सवाल10◆ क्वे यस काम जो आपूं समजंछा अगर यौ है जांछियो तो भौत भल हुंछी?
जवाब● जोलै पुस्तक प्रकाशनाधीन छन अगर प्रकाशित है जाना तो भौत भल हुंछी किलैकि उमर लै भौत हैगै। कि पत कब बुलावा ऐजाओ मली बटी।

सवाल11◆ आपण जिंदगी'क सबन हैं जादे खुशीक एक मौक बताओ?
जवाब● पुरि जिंदगी में एक न कयेक खुशी मौक मिली। मैंन दुख कें लै दुख नि मा्न यैई खुशी मौक मानो।

सवाल12◆ आपुण हिंदी और कुमाउनी'क प्रिय लेखक को-को छन एक-एक नाम बताओ?
जवाब● कुमाउनी में पं. गुमानी पंत,
और हिंदी में तुलसीदास।

सवाल13◆ नवोदित लेखक, रचनाकारों और संगीत दगै जुड़ी लोगन हूं कि कूंण चाला?
जवाब● मैं आपुण रचनाकार भाई बैणियों थैं निवेदन करूं कि हमर संगीत विषय में जो झोल ऐगयी। उनुकें छोड़ो, संगीत सामवेद में लै देखला बिलकुल सैंज छ। क्वे लै वाद्य में तीन सप्तक हुनी। सा और प अचल आपणे जाग पर रूनी। रे ग म धनि यो पांच स्वर मधिकाल पद हार्मनी में छन। यैं तली शुद्ध सात स्वर मली पांच विकृत स्वर हुनी, उनन में सा और प नि बणाई जै सकन। सा कैकणी मानि लियो यौ संभव राग कें शुद्धता पर आघात करूँ, यै कें समझो। आपूं कें यो ध्यान धरण पड़ल कि रचना क्वेलै हो कुमाउनी, गढवाली और लै स्वयं व्यक्त होल, यदि उ ताल बद्ध है सकीं। उदाहरण...मेरि टोपी ध्वेदे सुलबुली गावा, मैं जानू सुरमा कोश्याँ की मावा। इकें ताल बद्ध और मात्रा बद्ध करण में हमन कें कुछ यस परिवर्तन करण पड़ल। उसी लै आपूं दीर्घ मात्रा कें हृस्व करिबेर मात्राबद्ध कर सकछा। पर ताल येसी हो्ल।
म्यरि ट् व पि ध्वे$दे$, सुलबुली गा$वा$
मि जाँ$छुँ सुरमा$, कुश्यॉ$ कि मा$वा$.....यां १६-१६ मात्रा टनाटन है गई।
यो हमन कें मानक कुमाउनी बणाण में हिंदी'क साथ अघिल बढलि।

सवाल14◆ पहाड़ी खाणु में आपण मन पसन्द खाणु के छ?
जवाब● मादिरक भुनी चाववों भात वी दगै का्ल घौताक डुबुक साथ में झोलि और खटै। और आंखिर में दूद भात।

सवाल15◆ आपण जिंदगी'क मूल मंत्र कि छ?
जवाब● जतु करछा भल करौ। कुबाट कें जो बाट समझी हिटणेई उननकें भल बाट बताओ और आपूं लै उपरि चलो। यौ नै कि मैं नक काम करूँ तू झन करिये। यौ मैं बिलकुल न कौन और न करन।

सवाल16◆ लोकभाषा बचूण किलै जरूड़ी छन?
जवाब● पहाड़ बटी पलायन करिबेर हम आपण तीज त्योहार, बोलि भाषा छोड़ी भ्यैराक अपनौण रयाँ। जबकि हमन भ्यैर जाबेर लै आपणि संस्कृति फैलाण चैंछ। हम आपणि पछ्याण नि भुलि जाऊं यै लिजी लोकभाषा बचूण जरूड़ी छन। किलैकि भाषा ही संस्कृतीक संवाहक छ।

सवाल17◆ आपणि उमर आब् आराम करनैकि छ फिर लै आपूं रचना धर्मिंता में जुटी रौछा। आपुणि दिनचर्या कसी बितैं के-के करछा आपूं और आजकल के रचनौछा?
जवाब● दिनचर्या सानंद बितण रै। जो दक्षिणोत्तर भारतीय राग व्याकरण छ आजकल वी परि शोध कार्य चल रौ। कि यमें के छ और के हुण चैं। वीकणि एक सरल सूत्र बणैबेर वीक एक दोहा रचना, फिर वीक सरल रूप, वीक आरोह या अवरोह छन। वीक क्रम में धरण तथा कम है कम स्वरों में निबंधन अर्थात पकड़ लेखण फिर क्रमांक- और उ राग रागव्याकरण विश्व कोषक को क्रम मिलल यो बताण छ। इनरी संख्या 1771 छ। इनर संरक्षण करण नयी रागों रचना अघिला संगीतकार कराल। यौ काम चलि रौ आजकल।

सवाल18◆ आपूं कें टीवी में देखण के भल लागों?
जवाब● मैं विशेषकर समाचार देखनू, और धार्मिक विषय पसंद छन।

सवाल19◆ आपण उत्तराखंडी समाज हूँ के संदेश छ?
जवाब● उत्तराखंडी समाज हूं आग्रह करूल कि पहाड़ैकि पछ्याण जन छोड़िया। पहाड़ि'नकि सत्यता कें जन छोड़िया। हमार उन पुरखों खुटना खोज पर चलिया जो हमरी वीरता, बुद्धिमत्ता छ। उकणी समाई धरिया।

सवाल20◆ क्वे यसि बात जो मैंन पुछि न और आपूं सब लोगन दगड़ी साझा करण चाँछा?
जवाब● पहाड़ में जागर प्रथा पर नि पुछ। घुगूती जागर में त आपूं गीत नयी पुराण गैण बजाण करछा। बधाई छु। उकें एक साहित्यिक एवं संगीत'कि दिशा दिणैकि जरवत छ। सौंल कठौल जमें संस्कृतीक उदात्त रूप छलकौं पुराण रचनाकारों'क छन। उनुकें बढाओ। जागर प्रथा में हिंसा त्याग करौ, यो देवभूमि में उचित न्हाँ।

बांकी आपूं कें शुभाशीर्वाद ढैला जी
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भौत भल लागौ महोदय आपूं दगै बात करिबेर भौत कुछ सिखण हूं लै मिलौ, आभार छ आपुण बात चीत करनै तैं प्रणाम।

★प्रस्तुति◆राजेंद्र ढैला, काठगोदाम।
सर्वाधिकार@सुरक्षित
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