चेलीन कि व्यथा

चेलियां, धान क जस पौध, एक जाग बै उपाडि, आपूँ दुसर जाग रोपी जानी और नई जाग में कर नी, दैल फैल खुशी बहार। Kumaoni Poem tragedy of daughters

चेलीन कि व्यथा
रचनाकार: ज्योतिर्मयी पंत

यमें आब बदलाव तो हुनों
पर आई लै समाज में यस छने छु

कथें कूं नु?

आपुणि मन कि
दुख सुख कि काथ
सबै छन घर में
पै हम पराई घर कि
अमानत।

यां च्याल हुनी प्यार
खानदान क आधार
पैली ऊ लोग
फिर चेलिन कि बारि।

रोज पाठ दोहराव
जे करला
आपुण घर करिया
घुमन फिरन शान शौकत।

फिर वां पुजी बेर
एक औरे काथ
पराय घर में ढूंढनी
आपून हिस्सक प्यार दुलार।

कथे कुनु यां
आपूणि बात
सबै छन पर नई
परवार
नई व्यवहार।

फिर लै देखौ
चेलीनक चमत्कार
बने बेर सब न कै
आपुण
सजुनी घरबार
द्वि ये घर न में करनी
उजयाव अपार।

धान क जस पौध
एक जाग बै उपाडि
आपूँ दुसर जाग
रोपी जानी और
नई जाग में कर नी
दैल फैल खुशी बहार।

ज्योतिर्मयी पंत, August 09, 2020

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