वरिष्ठ साहित्यकार श्री रतनसिंह किरमोलिया ज्यू

कुमाउनी भाषा में साक्षात्कार - वरिष्ठ साहित्यकार श्री रतनसिंह किरमोलिया ज्यू  Kumaoni  Interview with Kumauni Litterateur Shri Ratttan Singh Kirmoliya

वरिष्ठ साहित्यकार श्री रतनसिंह किरमोलिया ज्यू
कुमाउनी इंटरव्यू © हमार कुमाउनी रचनाकार【10】
प्रस्तुति: राजेन्द्र ढैला

मित्रो, जसकि आपूं जा्ण छा मैं आपूं सब लोगना सामणि हमार कुमाउनी रचनाकारों'क संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत करण लाग रयूँ। आज यै क्रम में मैं ल्हीबेर ऐरयूँ हमार वरिष्ठ साहित्यकार श्री रतनसिंह किरमोलिया ज्यूक संक्षिप्त जीवन परिचय।

किरमोलिया ज्यू जनम 15 फरवरी सन् 1951 हूँ ग्राम-अणां,पोस्ट-गरूड़, जिल्ल-बागेश्वर में इजा-श्रीमती खिमुली देवी व बौज्यू श्री चन्द्र सिंह किरमोलिया ज्यू वाँ भौ। इनून शिक्षा में एम ए (हिंदी), सी.टी व उर्दू में डिप्लोमा करौ। जैक बाद यौ एक सरकारी शिक्षक बणीं। 39 साल शिक्षा विभाग में सेवा दिणा बाद फरवरी सन 2011 में हिंदी प्रवक्ता पद बै राजकीय इंटर कॉलेज अल्माड़ बटी सेवा निवृत हैबेरन कुमाउनी बोलि-भाषा, साहित्य की सेवा में जुटि रयी। प्रस्तुत छन इनन दगै हैई बातचीताक कुछ अंश...

सवाल01◆ उ तीन मनखीनों नाम बताओ जनून आपूं कें प्रभावित करौ?
जवाब● सर्वश्री लालबहादुर शास्त्री, सुमित्रानंदन पंत व पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ज्यूक जीवनल भौत प्रभावित रयूँ।

सवाल02◆ रचना धर्मिता कब बटी और कसिक शुरू भै आपूं हिंदी लै लिखछा लेकिन कुमाउनी शुरू करणैकि प्रेरणा कां बटी मिलै?
जवाब● मेरि रचना धर्मिता करीब 13-14 सालैकि उमर बटी शुरू हैगैछी। सन 1962 में, मैं 7वीं में पढ़छी। उभत चीनल भारत पर युद्ध छेड़ि दे। मैं गोरूं'कं ग्वाव जाई करंछी। दगाड़ कौपि-किताब और पेंसिल लै ल्ही जाई करछी। सयाणोंकि बात हैरैछी कि हमार देश पर दुश्मण चीनल युद्ध छेड़ि हा कै। हमार देश कूंण में म्यार भितेर रीसल एक उमाव जस आ। कुछ पंक्ति लेखी, उ कविता'क शैद पैल प्रस्फुटन छी। बस तब बटिक मैं छिटपुट कुछ न कुछ लिखते रयूँ। शुरू में हिंदी लिखछी फिर कुमाउनी लिखणेकि प्रेरणा गुरुजी स्व. चारुचंद्र पांडे ज्यू बटी मिलै। उं हम हौस्टल वा्ल छात्रों कें आपण कम्र में भैटैबेर आपण लेखी और गाई आकाशवाणी लखनऊ बटी प्रसारण सुणाई करछी। हम उभत जी आई सी अल्माड़ में पढछियाँ और हौस्टल में रूंछियां।

सवाल03◆ आपुण लोकप्रिय मनखी को छन? क्वे एक' नाम बताओ।
जवाब● पूर्व प्रधानमंत्री स्व. लालबहादुर शास्त्री।

सवाल04◆आपुण खास शौक के-के छन?
जवाब● म्यार खास शौक साहित्य सेवा, समाज सेवा और अध्ययन-अध्यापन, खेती-पाति जमें साग सब्जी उगूण, बागवानी। यौ शौक हमन कें समाज दगै जोड़नी और देश सेवा लिजी प्रेरित करनी।

सवाल05◆ आपूंल कुमाउनी साहित्याक को-को विधाओं में आपणि कलम चलै राखै और आपुणि लिखणैकि मनपसंद विधा कि छ?
जवाब● हिंदी और कुमाउनी'क म्यार लोकप्रिय विधा छन कविता और कहानि। मैंन कविता'कि नानिनानि विधा लै शुरू करै। जैक नाम मैंन 'कणिक' धर राखौ। यौ कविता लेखन में एक अलग विधा और अलग छंद छू।

सवाल06◆ अछा आपुण कुमाउनी और हिंदी साहित्य में प्रकाशित किताब को-को छन?
जवाब● हिंदी बालसाहित्य में...
1,अधूरा सपना-कहानी संग्रह,
2,गीत रसीले बचपन के,
3, बासंती बाल गीत,
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कुमाउनी बालसाहित्य में..
1,आमक पहरू--कहानी संग्रह,
2,पुतई दीदी- गीत/कविता संग्रह,
3, दोहा संग्रह।
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कुमाउनी साहित्य में..
1,कणिक संग्रह-नानि नानि कविता संग्रह,
2, उठो आब बादो कमर -- कविता संग्रह,
3,नरै -- कविता संग्रह।
संयुक्त संकलन 'बुरूंश' कुमाउनी काव्य संग्रह'क संपादन।
लगभग द्वी दर्जन हैं जादे संयुक्त संग्रह व पत्र-पत्रिकाओं में रचना प्रकाशित छन।

सवाल07◆ आपुण जिंदगी'क एक यादगार किस्स बताओ जो सबन दगड़ी साझा करण चाँछा?
जवाब● म्यार जिंदगी में कयेक यादगार घटना घटी, उनूबै एक यौ छ। एक बार हम लोगोंन उत्तरैणी'क समय पर एक पदयात्रा निकावै। जमें हमन दगड़ी इस्कूलाक नानतिन लै छी। यौ दौरान हमार नान गौं'क लोगों बीच समाजोपयोगी नाटक और सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करछी। बागेश्वर जाणी बा्ट में बहूली गौं छ। वां नाना'ल् शराबक् अवगुण दिखूंणी नाटक दिखा। भौत लोग दर्शक छी। उनन मेंई एक ठुल दुकानदार लै छी जनरी बागिस्यार में एक ठुलि दुकान छी। उ शराब पीबेर टैट हैरौछी और उनार झ्वालन एक पुरि और एक अद्पुरी शराबै बोतल आई भै। नाटक खतम हुण पर उनून मैंधैं कौ मंच बटी द्वी शब्द मैं लै कूंण चांनू। उ आंस जास लै पोछनेर भा्य। म्यार दगड़ी डरि गै , मंच दिण हूं मंजूर न भै। मेरि जिद पर उनूकें बुलाण'क मौक दे तो उनून आपण वक्तव्य में कौ- आज यौ नाना'नाटक दिखै बेर म्यार आँख् खोलि देई। म्यार झ्वालन यौ द्वी बोतल छन। मैं सबना सामणि आज कसम खानू कि मैं आज बटी शराब न प्यूंल। यौ बोतल तौ दिवाल बै तली हूँ फोड़ि दियो। हमार कूंण पर उ बोतल उनूनै फोड़ी। सबै उनर व्यौहार देखी भौत गदगद है गै और सबोंक आंखन बटी आंसू लै ऐगै।

सवाल08◆ आपण जिंदगी'क सबन हैं जादे खुशीक एक मौक बताओ?
जवाब● मैं हमेशा खुशि रूँ। सहित्य सेवा हो या समाज सेवा। घरक काम हो या सार्वजनिक सबै काम करण में मैंकें आत्मिक प्रसन्नता हैंछ।

सवाल09◆ क्वे यस काम जो आपूं समजंछा अगर यौ है जांछियो तो भौत भल हुंछी?
जवाब● क्वेलै काम जो समाजहित में हुंछ। उ है जानो भल हुन कै समझूं। मैं पराणपणल उ काम करनू लै।
सवाल10◆ जबकि आपूं आब शिक्षक पद बटी रिटायर हैगाहा तो आपुणि दिन चर्या कसी बितैं के-के करछा आपूं?
जवाब● रिटायरमेंटा बाद साहित्य एवं समाज सेवा बरकरार छू। कभतै-कभतै साग सब्जी उत्पादन। और रोजगार परक योजनाओं'कि देखभाल करनूं।
सवाल11◆ वर्तमान में के रचनौछा और आपुणि ऊणी वाली क्वे रचना?
जवाब● यो बखत के खास काम न करनयी साहित्याक क्षेत्र में। हां समाज सेवा संबंधित आलेख आदि रचनात्मक कार्य चलि रौ।

सवाल12◆ अछा लेखन कार्य करते हुए आपूं कें के-के सम्मान और पुरस्कार मिलि रयी?
जवाब● हिंदी साहित्य, हिंदी बाल साहित्य और कुमाउनी साहित्य सेवा लिजी करीब एक दर्जन हैं जादे पुरस्कारों'न पुरस्कृत और सम्मानित।
*कुमाउनी कहानि,कविता और आलेख आकाशवाणी लखनऊ, नजीवाबाद आ्ब अल्माड़ बै बरोबरी प्रसारित होते रौनी।

सवाल13◆ साहित्यकि परिभाषा, आपुण शब्दों में बताओ?
जवाब● साहित्य वी छू जो समाज और मनखी दगै जुड़ी हुई हुंछ और वीक हित में काम करूं।

सवाल14◆ आपुण हिंदी और कुमाउनी'क प्रिय लेखक को-को छन एक-एक नाम बताओ?
जवाब● हिंदी में म्यार प्रिय लेखक प्रेमचंद, बाल साहित्य में डॉ.राष्ट्रबंधु।
कुमाउनी में स्व.चारुचंद्र पांडे व शेरदा अनपढ छन।

सवाल15◆ टीवी में आपूं के देखण भल मानछा?
जवाब● समाचार देखण बस।

सवाल16◆ पहाड़ी खाणु में आपण मन पसन्द खाणु के छ?
जवाब● गडेरी हाली गहतकि दाव और मड़ुवक रोट नौणि लागी।

सवाल17◆ नवोदित लेखक व रचनाकारों हूं आपूं कि कूंण चाँछा? नई लेखक कस लिखनयी और कस लिखी जाणेंकि जरवत छ आई?
जवाब● नवोदित रचनाकारों कें विभिन्न रचनाकारों'कि रचनाओं कें खूब पढंण चैंछ। तबै स्वतः स्फूर्त लेखणक प्रवाह बणिं पां। भल स्वचो, भल करो, मिलिबेर रओ, बांटिबेर खाओ। पुरातन समाज इनू मंत्रों'ल संपृक्त और समृद्ध छी। पढनैकि आदत डालो,पढिबेर आत्मिक सुख मिलों। भल साहित्य पढिबेर भावविचारों'क परिशोधन हूँ। मन्खियैकि दृष्टि व्यापक और सोच रचनात्मक हैंछ। कुछ नई लेखक भल लिखण लाग् रयी।

सवाल18◆ आपण जिंदगी'क मूल मंत्र कि छ?
जवाब● भल स्वचौ, भल करो। मलिबेर रओ और बांटिबेर खाओ।

सवाल19◆ मैंन सुणैं आपूं आपण पैतृक गौं में कुछ खोलण पर विचार करना हा, कि छ उ? उ पर कतू काम हैगो, के उद्देश्य छ खोलणक?
जवाब● कुछ समाजसेवी दगड़ियों सहयोगल आपण गौं ककड़धार अणां में चार-पांच रोजगार परक योजनाओं पर काम चलि रौ। जसी-कीवी फार्मिंग, जड़ीबूटी उत्पादन, मतस्य पालन, मुर्गी पालन और होमस्टे। 80% काम है सकीगो। और हां चाय उत्पादन तो 20 सालों बटी चलिरौ। इन योजनाओं बै 20-22 लोगों कें नियमित रोजगार मिलि रौ। छिटपुट और लै रोजगार मिलते रौं।

सवाल20◆ कुमाउनी समाज हूं के संदेश दिनहा?
जवाब● हमौर कुमाउनी समाज आपण सामाजिक एवं सांस्कृतिक मूल्यों कारण भौत समृद्ध रौ। हमूंन यकें बणाई धर राखण् चैं और नई पीढी कें यैक लिजी प्रेरित करते रौंण चैंछ।

सप्रेम धन्यवाद सादर
★प्रस्तुति राजेंद्र ढैला, काठगोदाम।
आपसे अनुरोध है कि कलाकार के रूप में ढैला जी की प्रतिभा को जानने के लिए
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