गौं बै शहर -यांकौ अगासै दुसौर छु (भाग-१२)

कुमाऊँनी नाटक, गौं बै शहर - यांकौ अगासै दुसौर छु, Kumaoni Play written by Arun Prabha Pant, Kumaoni language Play by Arun Prabha Pant, Play in Kumaoni

-:गौं बै शहर -यांकौ अगासै दुसौर छु:-

कुमाऊँनी नाटक
(लेखिका: अरुण प्रभा पंत)


->गतांक भाग-११ बै अघिल->>

अंक सत्ताइस-

आज नरैण पद्माक नानतिननाक स्कूल में खेल-कूद दिवस छी।  उमें द्वियै शैण मैस उ कार्यक्रम देखण हुं गेयीं।  वांक मैदान, सजावट देख बेर पद्मा रणी गे, उकं क्वे ब्या बरात जौ लागौ, वील के देखिये नि भौय इतु मैस और सजावट।
सीटन में बैठ बेर सब कार्यक्रम देखण में पद्मा रम गे और तबै नानतिन बैण्ड बजै बेर परेड करण लाग तो पद्मा कूण बैठ कि तौ तो रामसिंगौक जौ बैण्ड लागणौ तौ।  मैल नैनीताल में एक बार देख शुभ राखौ।  उतु भीड़ में आपण चेलिन कं ढ़ुढ नि सकि तो फिर नरैणैल समझा जब उनौर किलासौक नाम पुकारि जाल तब पछाणनैक कोसिस करिये।

जैसे सुनीताक क्लासौक नाम बतयी गो तो नरैणैल पद्माकं बता कि "उ देख तिहरि लैन में चौथ नंबर, भली कै देख वी छु, एकनस्सै लुकुड़न में छन"
पद्मा - "होय होय पछ्याणि हालि।"   "इतु ढबौक नाच गीद और करतब पढ़ाय दगै कभत सिखून्हाल  बबो मेरि, तबै तो नानतिन औरि थकि मांदि जा उनी, शिबौ, मैलै, कभै कभै नड़कै दिनू।"
नरैण - "देख नानतिन हमार मुख्य भाय यो हमन कं कभै नि भुलण चैं, गांठ पाड़ ले आज बै।"
पद्मा - "ठीक कुणौ छा"

अंक अठ्ठाइस-

द्वार में खट-खट भै तो नीताल द्वार खोलौऔर प्रश्नवाचक दृष्टिल देखौ और आपण इज पद्मा कं बुलै लै:--
"चाचीजी नमस्ते, हम होली का चंदा लेने आये हैं, रसीद भी देंगे'
पद्मा - कितना देना है?
चंद ल्हिणी लौंड - जी कम से कम एक रुपया या अधिक जितना मर्जी, कितने की रसीद बना दूं?
पद्मा - एक रुपए की

अंक उन्तीस-

नानतिन स्कूल बै ऐयीं तो सुनीता नाचण बैठी--"इजा भोल बै पुर एक हफ्तैक छुट्टी ओ ओ"
रीता - इजा होलिक छुट्टी छन एक ऐंतवार भोल और एक आंखीर में मिलै बेर पुर बात दिन,पर इतु काम मिल रौ मैं तो बस खाण खैबेर लाग जूंल तबै होलिक दिन है पैल्ली पुर है सकौल।
पद्माल आपण समझदार रीता कं पलाशौ और कौ "नीता सुनीता तुमन कं नि मिल रौयो काम?"
नीता - किलै नै भौत काम छु ।
सुनीता - "मैल तो आपण आंखीर पीरियड में सब कर हालौ एक द्वि चीज रीता दि तैं पुछुल। तौ लै कभतै भोत्तै नखार दिखें।"
रीता - कब दिखा नखौर,हमेशा बतूनू इजा मैं यकं लै और नीता कं लै।शुद्दै झुठ बलैं।
पद्मा - अच्छा चलौ,सब ठीक-ठाक करौ लुकुड़ बदल बेर हाथखुट ध्वे बेर बैठौ मैं खाण लगूंनू।
पद्माक खाण लगूण जांलै रीता  तैयार हैबेर आपण कौपि किताब दगै ऐगे।
पद्मा - च्यला पेल्ली सांतील खाण खाऔ, फिर करिए स्कूलौक काम।

अंक  तीस-

रीता कं पढ़नैक लौ भै, उ कभ्भै लै आपण टैम बर्बाद नि करनेर भै।  पद्मा यो शहर में ऐ बेर लै उसी छाय-छरपट भै जब गौं पन छि।  वील पड़ौश्याण थैं कुछ किस्मौक फुलकारी कढ़ाई सिख ल्हे और जो लै नय पुराण टुकुड़ टाकुड़ मिल बस रीताक बगल में बैठ लाग जानेंर भै।  नीता, सुनीता तो खाण खाते ही सित ग्याय।

पद्मा - रीता तुलै जरा सित जानी धैं।
रीता - इजा ऐल नीता सुनीता सित रैयीं, मैं यभत पढाय करण ठीक समझूं, कतु शांति है रै।  फिर मेरे क्लास लै ठुल छु और मकं तनन कं लै पढ़ूणै भौय।  ओ इजा अल्लै टीचर जी लै एजालिन।  आब इजा तु नीता सुनीता कं लै उठै दे नंतर रात हुं देर जांलि, नि सिताल और मकं पढ़न नि द्याल।

अंक इक्त्तीस-

होलिक पैल दिन बै औरि हुड़दंग जै चिता पद्माल, नरैण लै बजार बै भौत किस्मैक मठरी, दालमोंठ ग्वाज प्याड़ ल्या और देसनौक रिवाज पद्माकं सिखा।
पद्मा - यां चीर नि बादना, तो होलि कैसि जाल?
नरैण - यां लै होलि जगूनी पर तरिक कुछ फरक छु और यांक होलि में जरा शैणि और चेलिन कं  भौत भीड़ि है दूरै रूण चै।  कुछ शराबि लै हुनि तो जब क्वे आलौ तौ तुम द्वार थै झट्टकन झन जैया।  तु आलुक गुटुक पुरि और भांगैकिखट्टै बणै लियै।  और एक ट्रे में अबीर गुलाल धर दियैऔर एक भान में पाणि में रंग मिलै द्यूंल नानतिन आफि खेलनी।

नीता सुनीता हुं मैं पिचकारि लै लैरैयूं।  रीता कं यो सब शौक न्हातिन। जो यो पान सुपारिक प्लेट लैरैयू उसमें सौंफ सुपारि गोलौक धुस मिश्रिर धर ल्यून बस।  जब तक मैं कूं नै तुम भ्यार झन ऐया क्वे शैणिनौक जत्थ ऐयौ तो तुम सब मिल लिया और नानतिन आपण दगड़ून दगै आफि खेलनी त्वील लुकुड़न में होलि एकादशी दिन रंग हाली राखौ वी लुकुड़ पैर बेर होलि खेलिया।

पद्मा - चलौ यो बर्स यांक होलि लै देख ल्यूंल।  मकं तो आपणै गौंक होलि याद उणै कतु स्वांग नाच गीद करछियां खिसै लगूंछिंयां।यां होलि नि गैना क्वे?
नरैण - वां परिषद बै बुलावा ऐ रौछी रातैक होलिक बैठक छि पर मैं नि गेयूं वां कुमाऊनी बोलि शुणन हुं मिलैनि।
पद्मा - शुणौ, कबै आपण गौं लै जून हां, औरी नरै लागैं स्वैण में लै देखनू।
नरैण - बिल्कुल।

क्रमशः अघिल भाग-१३ ->>

मौलिक
अरुण प्रभा पंत 

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